डबवाली- योग ऋषि स्वामी रामदेव द्वारा उच्चारित एक पंक्ति ''मैं आपके दिल में वो आग लगाना चाहता हूँ, जो मेरे दिल में लगी हुई है। ने भूतपूर्व जिला मार्केङ्क्षटग अधिकारी वियोगी हरि का पूर्ण जीवन बदल कर रख दिया। समय था 23 सितम्बर 2003 और स्थान था जयपुर में आयोजित योग शिविर का पण्डाल। बस उसी पल उन्होंने निर्णय लिया और शेष जीवन योग ऋषि के ''दवा मुक्त भारत व रोग मुक्त भारत मिशन के नाम कर दिया। अनेक बाधाऐं, विपरीत परिस्थितयों, उपेक्षा, उपहास, अलोचना व विरोध के बावजूद उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा एवं अपने शुरूआती साथियों के सहारे आगे बढ़ते रहे। इस पुनीत कार्य की शुरूआत उन्होंने डबवाली से की तथा पंजाब, हरियाणा, राजस्थान के अलावा हिमाचल प्रदेश जैसे राज्यों में 262 नि:शुल्क शिविर लगाने का नया कीॢतमान स्थापित किया। उनके द्वारा समर्पण के आज सात वर्ष पूर्ण होने पर स्वजनों, मित्रों, सहयोगियों, योग साधकों एवं स्थानीय समिति के सदस्यों सहित रानियां, ऐलनाबाद, कालांवाली, बलोत्तरा, नूरपुर, गिद्दड़बाहा सहित अनेक शहरों से बधाई सन्देश प्राप्त हुए हैं। यह जानकारी देते हुए समिति के प्रभारी अशोक सोनी ने बताया कि इन सात वर्षों के दौरान उनके द्वारा किए गए अभूतपूर्व कार्यों के लिए स्वयं योग ऋषि स्वामी रामदेव राष्ट्रीय स्तर पर चार बार सम्मानित कर चुके हैं। उन्होंने बताया कि वर्तमान में उनके द्वारा स्थानीय मैहता धर्मशाला में गत 19 सितम्बर से नि:शुल्क योग शिविर जारी है।
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गुरुवार, सितंबर 23, 2010
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''मैं आपके दिल में वो आग लगाना चाहता हूँ, जो मेरे दिल में लगी हुई है'' पंक्ति ने बदला वियोगी हरि का पूर्ण जीवन
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