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कैसे बना डबवाली का सुनील, बॉलीवुड का ‘गुत्थी’


छोटे शहर से निकलकर पूरे देश को गुदगुदाकर मशहूर हुए सुनील ग्रोवर




कामेडी नाइट्स विद कपिल में गुत्थी के किरदार से देशभर के दर्शकों को गुदगुदाने वाले कामेडियन सिरसा जिला के डबवाली शहर के रहने वाले हैं। डबवाली में ही उनकी स्कूङ्क्षलग हुई। डबवाली के गुरुनानक कालेज से उन्होंने ग्रेजुएशन किया। सुनील ग्रोवर के पिता जे.एस. ग्रोवर भी क्रिएटिव इंसान हैं। वे स्वयं एक रेडियो अनाऊंसर बनना चाहते थे, लेकिन सुनील के दादा के दबाव देने पर ऐसा नहीं कर पाए और बैंक में नौकरी। स्वयं के सपने साकार न करने वाले जे.एस. ग्रोवर ने अपने बेटे के दिल की बात सुनी। सुनील बचपन से ही अदाकरी के शौकीन थे। तबला बजाते, हारमोनियम सीखते और अपने संगी-साथियों, अड़ौसी-पड़ौसियों की मिमर्की करते। उनके पिता ने उनकी खूब स्पोर्ट की और थियेटर की शिक्षा के लिए चंडीगढ़ भेजा। चंडीगढ़ में थियेटर में मास्टर डिग्री की और उसके बाद करीब 8 माह तक दिल्ली के एक न्यूज चैनल में काम किया। जसपाल भट्टी ने चंडीगढ़ में उन्हें पहला ब्रेक दिया। लोगों को ऑब्जर्व काना उनका पसंदीदा शगल है फिर एक दिन उन्होंने अपने बचपन के ख्वाब को सच करने के लिए मुंबई जाने का फैसला लिया। वे अपनी जमा पूंजी लेकर मुंबई आ गए ताकि कुछ दिन घूमे फिरें और शहर के मिजाज को समझें। यहां आने के बाद सुनील ने ड्रामा से शुरुआत की और एक साल तक वॉयसओवर भी किया। इस बीच फिल्मों में छोटे-मोटे रोल करते रहे और सीरियल्स में नजर आए उन्होंने चला लल्ला हीरो बनने के साथ छोटे परदे पर दस्तक दी थी। वे टीवी के पहले सायलंट शो गटरगूं में भी नजर आ चुके हैं। इस साल रिलीज हुई फिल्म जिला गाजियाबाद में उन्होंने विलेन फकीरा का किरदार निभाया। यही नहीं एक एफएम चैनल पर वे अपने जोक्स से पकाने और हंसाने का काम भी करते थे। वे सुदर्शन उर्फ सुड का कैरेक्टर निभाते थे जो अपने बेसिर पैर के चुटकुले सुनाता था। उन्हें सुर्खियों में लाने का काम किया, कॉमेडी नाइटस विद कपिल में उनके कैरेक्टर गुत्थी ने। सुनील इस किरदार की बाबत बताते हैं। गुत्थी का रोल मेरे लिए नया नहीं था। मैं इसे पहले भी एक दो जगह कर चुका था। हमने इस परमानेंट बनाने का सोचा भी नहीं था। लेकिन कैरेक्टर लोगों से कनेक्ट कर गया। सुनील ने इसके अलावा 2000 में आई फिलम प्यार तो होना था में नाई का किरदार निभाया। इसके साथ ही उन्होंने 2002 में आई फिल्म द् लिजेंड ऑफ भगत ङ्क्षसह, 2005 में आई इंसान, 2006 में आई फैमिली: टाइ्ज ऑफ ब्लड, 2008 में गजनी, 2011 में मुम्बई कङ्क्षटग एवं इसी बरस आई जिला गाजियाबाद फिल्म में भी काम किया। फिलहाल किसी वजह से उन्होंने कामेडी नाइट्स विद कपिल से किनारा कर लिया है और जाहिर तौर पर उनके जाने से उनके फैनस काफी मायूस हैं।


सुनील करते थे अदाकारी, पापा होते थे जज
उनके पिता बैंक में काम करते थे। उनकी एक बड़ी बहन और छोटा भाई है। उन्हें बचपन से ऐक्टिंग का शौक था। वे अपने टीचर और रिश्तेदारों की खूब नकल उतारते थे। सुनील को इस शौक में पापा का पूरा सपोर्ट हासिल था। कई बार तो ऐसा हुआ कि जब सुनील स्कूल में कोई प्रोग्राम कर रहे होते तो वहां उन्हीं के पापा जज होते थे। हालांकि उनके पिता रेडियो अनाउंसर बनना चाहते थे लेकिन सुनील के दादा की वजह से उन्हें बैंक में नौकरी करनी पड़ी।

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