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बजट का मकसद आत्म प्रशंसा न होकर आत्मचिंतन होना चाहिए- अमित सिहाग

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विधानसभा में अमित सिहाग का सरकार को सवाल,, क्या मेरे क्षेत्र के किसानों से सरकार की है कोई विशेष नाराजगी?

हमलावर हो सिहाग ने हड्डारोड़ी,जिम, ई-लाइब्रेरी, हाईवे की बंद लाइटों,काऊसेस,कालुआना खरीफ चैनल,जर्जर पुलों,आंगनबाड़ी, स्कूलों, मनोरोग चिकित्सक की नियुक्ति, खेल स्टेडियम,खेती आदि पर सरकार को घेर मांगा जवाब
बजट पर चर्चा के दौरान हलका डबवाली के विधायक का अमित सिहाग ने जहां सरकार को उसकी कथनी और करनी में अंतर बताते हुए आईना दिखाने का काम किया वही हल्के की लंबित पड़ी मांगों को भी मजबूती से सरकार के समक्ष रखने का काम किया।सिहाग ने हमलावर रुख अपनाते हुए कहा कि मुझे इस बात की पीड़ा है कि सरकार घोषणाएं तो करती रहती है लेकिन गंभीरता के अभाव के चलते धरातल पर काम करने की चेष्टा नहीं करती। उन्होंने कहा कि वर्ष 2020-21 में सरकार ने मेरे सुझाव पर हड्डा रोड़ी की समस्या को हल करने हेतु जिला तथा ब्लॉक स्तर पर विद्युत चलित शवदाह गृह बनाने की घोषणा की थी लेकिन कई बार मेरे द्वारा याद करवाने के बावजूद भी यह घोषणा सिरे नहीं चढ़ सकी।
विधायक ने कहा कि इसके अगले साल सरकार ने बजट में ग्रामीण आँचल में जिम तथा ई लाइब्रेरी स्थापित करने की घोषणा की, लेकिन नतीजा शून्य निकाला और अभी तक उनके हलके में न जिम और न ही लाइब्रेरी स्थापित हो पाई, जिसके बाद उन्होंने स्वयं ग्रामीण आँचल में कंप्यूटर वितरित किए। उन्होंने कहा कि मेरी मांग पर सरकार ने पिछले साल शराब की बिक्री पर काऊसेस लगाने की बात कही थी लेकिन अब मेरे प्रश्न के जवाब में सरकार ने कहा कि वह काऊ सेस के नाम पर कोई राशि एकत्रित नहीं कर रही, जो सरकार की कथनी और करनी में अंतर का बड़ा उदाहरण है।
अमित सिहाग ने कहा कि वह पिछले चार साल से कालूआना खरीफ चैनल बनाने की मांग को सदन में रखते आ रहे हैं लेकिन सरकार पानी की कमी बताकर मेरी मांग को पूरा नहीं कर रही। उन्होंने कहा कि गत दिवस सरकार ने खुद कहा कि मानसून के मौसम में घग्गर में आने वाले अतिरिक्त पानी से होने वाले नुकसान से बचने हेतु पानी राजस्थान को दिया जाएगा। विधायक ने सरकार से सवाल किया कि क्या सरकार की उनके क्षेत्र के किसानों से कोई विशेष नाराज़गी है जो यहां खरीफ चैनल न बनाकर पानी राजस्थान को दिया जा रहा है? उन्होंने कहा कि हैरानी की बात है कि मंजूर हुई कालूआना खरीफ चैनल को सरकार ने वर्ष 2024 में बनाई जाने वाली खरीफ चैनलों की सूची में राजनीतिक कारणों से शामिल ही नहीं किया।
सिहाग ने कहा कि सरकार मानती है कि मेरे हल्के में पड़ने वाली राजस्थान कैनाल और सरहिंद फीडर पर बने पुल जर्जर हालत में है लेकिन फिर भी सरकार उनके पुनर्निर्माण में खुद को असमर्थ बताती है। उन्होंने कहा कि सरकार राजस्थान को पानी देने का समझौता भी करती है लेकिन फिर भी पुल बनाने के लिए दबाव नहीं बनाती और कहती है कि वह इसके पुनर्निर्माण करवाने में असमर्थ है।उन्होंने ने कहा कि सरकार असमर्थ होगी लेकिन डबवाली का विधायक समर्थ है और उन्होंने करोना काल में भी लगातार प्रयास कर राजस्थान के पैसे से दो पुल बनवा लिए।
सरकार द्वारा ज्ञान(GYAN) का प्रचार करने पर सिहाग ने कहा कि सरकार ज्ञान के चक्षु तो खोलना चाहती है लेकिन उनके हलके में आंगनबाड़ियों की दशा दयनीय है जहां पर बच्चों को प्राथमिक शिक्षा मिलती है। उन्होंने कहा कि अगर शहरी आंचल की बात करें तो उनके हलके डबवाली में 18801व 18802 नंबर स्कूल ऐसे हैं जो मात्र एक कमरे में चल रहे हैं इनमें से एक डबवाली के स्टेडियम में है और दूसरा इंप्रूवमेंट ट्रस्ट पार्क में चल रहा है जिससे ज्ञान की पोल खुलती है।
अमित ने कहा कि सरकार नशे के खिलाफ अपनी प्रतिबद्धता तो जाहिर करती है इसके लिए साइकिल यात्रा भी करती है लेकिन हलका डबवाली के नशा मुक्ति केंद्र को कारगर करने की तरफ कोई ध्यान नहीं देती। उन्होंने कहा कि इस नशा मुक्ति केंद्र में मनोरोग चिकित्सक की नियुक्ति के लिए जब वह विधानसभा में सवाल लगाते हैं तो सरकार नियुक्ति कर देती है, लेकिन सदन समाप्त होते ही फिर वहां से मनोरोग चिकित्सक को स्थानांतरित कर दिया जाता है।
विधायक ने कहा कि सरकार राजमार्ग बनाने की बात तो करती है लेकिन बने हुए राजमार्गों पर जो लाइट लगी हुई है उनकी तरफ उसका कोई ध्यान नहीं है। उन्होंने कहा कि डबवाली शहर में सिरसा रोड सहित विभिन्न क्षेत्र में राजमार्गों पर महीनों से लाइट बंद पड़ी है जिससे दुर्घटना होने की आशंका बनी रहती है, लेकिन सरकार उसका कोई समाधान नहीं कर रही।
विधायक ने कहा कि सरकार खेलों को बढ़ावा देने की घोषणा तो करती है, लेकिन डबवाली के गुरु गोबिंद सिंह खेल स्टेडियम के संदर्भ में बार-बार मांग उठाने पर भी मंजूर हुए पैसे को जारी नहीं करती और नहीं उसको अपग्रेड करके राजकीय स्तर का बनाने की बात करती है।
सिहाग ने कहा कि सरकार अपने आप को तो अन्नदाता की श्रेणी में खड़ा कर लेती है लेकिन जब वही अन्नदाता सड़कों पर अपनी जान गवाता है तो सरकार अपना मुंह मोड़ लेती है। उन्होंने कहा कि पिछले वर्ष सरकार ने बजट में केवल चार प्रतिशत ही कृषि के लिए निर्धारित किया था लेकिन उसमें से भी 2.6 प्रतिशत ही प्रयोग किया और अब सरकार ने केवल 3.2 प्रतिशत ही बजट में सरकार ने कृषि को दिया है ऐसे में सरकार किस प्रकार से किसान हित की बात करती है।
अमित सिहाग ने कहा कि सरकार को अपनी घोषणाएं करने से पहले सोचना चाहिए और की गई घोषणाओं को धरातल पर पूरा करने का काम करना चाहिए।

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