Join Us On What'apps 09416682080

?? Dabwali ????? ?? ???? ????, ?? ?? ?? ??? ???? ??????? ???? ?? ??? ?? ??????? ?? ?????????? ?? ?? ??????, ?? ????? ?? ???? ???????? ???? ???? dblnews07@gmail.com ?? ???? ??????? ???? ?????? ????? ????? ?? ????? ?????????? ?? ???? ???? ??? ?? ???? ?????? ????? ???? ????? ??? ?? 9416682080 ?? ???-??, ????-?? ?? ?????? ?? ???? ??? 9354500786 ??

Trending

3/recent/ticker-posts

Labels

Categories

Tags

Most Popular

Contact US

Powered by Blogger.

DO YOU WANT TO EARN WHILE ON NET,THEN CLICK BELOW

Subscribe via email

times deal

READ IN YOUR LANGUAGE

IMPORTANT TELEPHONE NUMBERS

times job

Blog Archive

टाईटल यंग फ्लेम ही क्यूं?

Business

Just Enjoy It

Latest News Updates

Followers

Followers

Subscribe

Lorem Ipsum is simply dummy text of the printing and typesetting industry. Lorem Ipsum has been the industry's.

Pages

Most Popular

मसाज सेंटर पर पुलिस का छापा ,पंजाब पुलिसकर्मी समेत चार दबोचे
चेयरमैन आदित्य देवीलाल चौटाला ने किया दो नए खरीद केंद्र का शिलान्यास व एक सड़क का उद्घाटन
इंकम टैक्स के छापे पंजाब में, कंपकंपी हरियाणा में! 25 दिसंबर को पूरे हरियाणा में मंडी बंद रखने का ऐलान
स्टेराइयड की दवा की तलाश में की छापेमारी, ब्लैक फंगस की वजह से किया गया है प्रतिबंधित
प्रदेश में हुआ सीसीटीवी खरीद घोटाला:कुमारी सैलजा
 12800 नशीलीं प्रतिबंधित गोलियों सहित दो व्यक्ति काबू
 Corona Update - 65 पॉजिटिव, 60 डिस्चार्ज
पुलिस अधीक्षक से बढ़ी अपेक्षाएं,सफेदपॉश अपराधियों पर डालनी होगी नकेल, समाज को खोखला कर रहे बुकीज
 82 लोग संक्रमित मिले हैं, वहीं एक की हुई मौत, डबवाली में संक्रमितों की संख्या बढ़ने और क्वारंटीन सेंटर में जगह न होने पंचायत से विभाग मांग रहा सहयोग
बजट का मकसद आत्म प्रशंसा न होकर आत्मचिंतन होना चाहिए- अमित सिहाग

Popular Posts

Secondary Menu
recent
Breaking news

Featured

Haryana

Dabwali

Dabwali

health

[health][bsummary]

sports

[sports][bigposts]

entertainment

[entertainment][twocolumns]

Comments

आजादी की पूरी कहानी:ईस्ट इंडिया कंपनी के आने से लेकर अंग्रेजों के जाने तक क्या-क्या हुआ, हम कैसे गुलाम बने और कैसे मिली आजादी

डबवाली न्यूज़ डेस्क 
पूरा देश ने 15 अगस्त 2020 को 74वां स्वतंत्रता दिवस मनाया  है। आजादी के बाद हमारा देश किस तरह आगे बढ़ा, इन 73 वर्षों की कहानी तो हम और आप अक्सर सुनते हैं। लेकिन, आजादी से पहले की कहानी बहुत उलझी हुई है। खासकर जब कांग्रेस-भाजपा एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगाते हैं तो समझ नहीं आता कि कौन सही है और कौन गलत?





महापुरुषों को प्रतीक के रूप में इस्तेमाल करते हुए यह पार्टियां भी आजादी की कहानी को उलझा देती हैं। इस वजह से इतिहास की सही तस्वीर सामने नहीं आ पाती। युवाओं की जानकारी भी कुछ नामों पर जाकर ठिठक जाती है।

हमने ख्यात इतिहासकार पुष्पेश पंत से जाना कि यदि संक्षेप में भारत के स्वतंत्रता संग्राम की कहानी सुनाई जाए तो उसमें क्या-क्या होना चाहिए। उन्होंने कई महत्वपूर्ण मुद्दों की ओर ध्यान खींचा। इसी आधार पर हम आजादी की कहानी को चार हिस्सों में बांट रहे हैं। ताकि आप भी संक्षेप में समझ सके कि हमारे पूर्वजों ने किस तरह संघर्ष किया और हमें आज की जिंदगी दी है।

1. ईस्ट इंडिया के आगमन से प्लासी (1600-1757): आजादी को समझना है तो गुलाम बनने की कहानी भी जरूरी है। जब ईस्ट इंडिया कंपनी को 1600 में ब्रिटिश महारानी से कारोबार की इजाजत मिली तब तक भारत में फ्रेंच, पुर्तगाली और डच कब्जा जमा चुके थे।




  • भारत से सूती कपड़े, रेशम, काली मिर्च, लौंग, इलायची और दालचीनी यूरोप जाने लगा था। ईस्ट इंडिया कंपनी का जहाज 1608 में सूरत पहुंचा। वहां पुर्तगालियों को डच ईस्ट इंडिया कंपनी की मदद से रास्ते से हटाया।



  • फिर मुगल शासक जहांगीर से रिश्तों को मजबूती दी। यूरोपीय वस्तुओं के बदले भारतीय शासकों का दिल जीता। धीरे-धीरे कूटनीति के जरिये उनके राजनीतिक मामलों में दखल शुरू किया। ताकत भी बढ़ाते रहे।



  • कंपनी ने मुगल से टैक्स में छूट प्राप्त कर ली थी। अब अफसर भी निजी कारोबार करने लगे थे और वे टैक्स नहीं चुकाते थे। इसका बंगाल के नवाब सिराजुद्दौला ने विरोध किया। कलकत्ता में ब्रिटिश संपत्ति पर कब्जा जमा लिया। अधिकारियों को गिरफ्तार कर लिया।



  • तब कंपनी का एक और गढ़ था मद्रास (आज का चेन्नई) में। वहां से रॉबर्ट क्लाइव नौसेना लेकर आए और 1757 में सिराजुद्दौला से प्लासी का युद्ध लड़ा। सिराजुद्दौला के सेनापति मीर जाफर ने विश्वासघात किया और युद्ध में नवाब की मौत हो गई।






  • 1757 में प्लासी के युद्ध के बाद रॉबर्ट क्लाइव और मीर जाफर। मीर जाफर की गद्दारी की वजह सेे बंगाल के नवाब सिराजुद्दौला की हार हुई थी और ईस्ट इंडिया कंपनी को भारत में पहली बड़ी जीत मिली थी। इस पेंटिंग को फ्रांसिस हेमैन ने बनाया है।



    1757 के युद्ध में जीत को लेकर प्लासी में अंग्रेजों ने एक मेमोरियल बनाया था। कुछ साल पहले वहां सिराजुद्दौला की प्रतिमा स्थापित की गई है। ताकि यह भी नई पीढ़ी जान सके कि अंग्रेजों के खिलाफ आवाज उठाने वाला पहला शख्स सिराजुद्दौला था, जिसे मीर जाफर की गद्दारी की वजह से शहादत मिली।

    2. कंपनी बहादुर से पहले स्वतंत्रता संग्राम (1757-1857) : जल्द ही कंपनी को लगने लगा कि कठपुतली नवाब काम नहीं आएंगे। सत्ता अपने हाथ में होनी चाहिए। तब 1765 में मीर जाफर की मौत के बाद कंपनी ने रियासत अपने हाथ में ली। मुगल सम्राट ने कंपनी को बंगाल का दीवान बना दिया यानी "कंपनी बहादुर" अस्तित्व में आया।




    • अंग्रेजों के सामने दो बड़ी चुनौतियां तब भी थीं। दक्षिण में टीपू सुल्तान और विंध्य के दक्षिण में मराठा। टीपू ने फ्रेंच व्यापारियों से दोस्ती कर ली थी। सेना को आधुनिक बना लिया था। वहीं, मराठा दिल्ली के जरिए देश पर शासन करना चाहते थे।



    • कंपनी ने टीपू और उनके पिता हैदर अली से चार युद्ध लड़े। लेकिन 1799 में टीपू श्रीरंगपट्टनम की जंग में मारे गए। इसी तरह, पानीपत की तीसरी लड़ाई में हार के बाद मराठा साम्राज्य टुकड़ों में बंटा था। 1819 में अंग्रेजों ने पेशवा को पुणे से लाकर कानपुर के पास बिठुर में बिठा दिया।



    • इस बीच, पंजाब बड़ी चुनौती बना रहा था। महाराजा रणजीत सिंह जब तक रहे, तब तक उन्होंने अंग्रेजों की दाल नहीं गलने दी। लेकिन 1839 में उनकी मौत के बाद हालात बदल गए। दो लड़ाइयां और हुई और दस साल बाद पंजाब पर अंग्रेज काबिज हो गए।



    • 1848 में लॉर्ड डलहौजी विलय नीति लेकर आए। जिस शासक का कोई पुरुष उत्तराधिकारी नहीं होता था, उस रियासत को कंपनी अपने कब्जे में ले लेती। इस आधार पर सतारा, संबलपुर, उदयपुर, नागपुर और झांसी पर अंग्रेजों ने कब्जा जमाया। इसने 1857 की क्रांति के बीज बोए।



    • सीताराम पांडे ने "फ्रॉम सिपॉय टू सुबेदार" संस्मरण में लिखा है कि यह सबको लग रहा था कि अंग्रेज भारतीय धर्मों का सम्मान नहीं करते। नाराजगी तो थी लेकिन जब यह खबर आई कि नई बंदूकों के कारतूसों पर गाय और सूअर की चर्बी का लेप है तो कंपनी में सिपाही भड़क गए।



    • 1857 में मेरठ में सिपाही विद्रोह के चलते मंगल पांडे को फांसी पर चढ़ाया गया। वहां से उठी चिंगारी ने झांसी, अवध, दिल्ली, बिहार में क्रांति को हवा दी। रानी लक्ष्मीबाई, बहादुर शाह जफर, नाना साहेब आदि ने मिलकर एक साथ बगावत कर दी। अंग्रेजों को खदेड़ दिया गया था।






    • 1765 में मुगल शासक शाह आलम ने रॉबर्ट क्लाइव को दीवानी सौंपी थी। इससे ईस्ट इंडिया कंपनी को बंगाल, बिहार और आज के ओडिशा से टैक्स वसूलने का अधिकार मिल गया था। यह पेंटिंग्स बेंजामिन वेस्ट ने 1818 में बनाई है।

      3. इंग्लैंड की महारानी के शासन से गांधी तक (1858-1915) : कंपनी ने तब लंदन से फौज बुलवाई। सितंबर-1857 में दिल्ली में फिर अंग्रेजों का कब्जा हुआ। मार्च-1858 में लखनऊ, जून-1858 में झांसी पर अंग्रेज फिर हावी हुए। ब्रिटिश संसद ने कानून पारित किया और भारत की सत्ता ईस्ट इंडिया कंपनी के हाथ से महारानी के हाथ में चली गई।




      • ब्रिटिश मंत्रिमंडल के सदस्य को भारत का मंत्री बनाया गया। उसकी मदद के लिए इंडिया काउंसिल बनाई गई। गवर्नर जनरल अब वायसराय था यानी इंग्लैंड के राजा-रानी का निजी प्रतिनिधि। इस तरह, अंग्रेज सरकार ने सीधे-सीधे भारत की बागडोर संभाल ली।



      • 1858 में जब ब्रिटिश राज आया तब उसके कब्जे में आज का भारत, बांग्लादेश, पाकिस्तान और बर्मा था। वहीं, गोवा और दादर नगर हवेली पुर्तगाली कॉलोनी थे जबकि पुडुचेरी फ्रेंच कॉलोनी।



      • ब्रिटिश शासन आते ही तटीय इलाकों यानी मद्रास, बॉम्बे, कलकत्ता और इसके आसपास के पुणे जैसे शहर पढ़ाई-लिखाई के बड़े केंद्र बन गए। वहां संभ्रांत भारतीय परिवारों के युवा पढ़-लिख रहे थे। इसी दौरान सामाजिक सुधार शुरू हुए।



      • दिसंबर-1885 में रिटायर्ड ब्रिटिश अधिकारी एलेन ओक्टोवियन ह्यूम ने ब्रिटिश शासन और भारत की सिविल सोसायटी में समन्वय की भूमिका निभाने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस बनाई। इसका उद्देश्य आजादी की लड़ाई लड़ना नहीं बल्कि ब्रिटिश शासन में अपनी भूमिका निभाना था।



      • सुरेंद्रनाथ बनर्जी कलकत्ता में, महादेव गोविंद रानाड़े पूना में सक्रिय हुए। प्रार्थना समाज, आर्य समाज जैसे संगठन सक्रिय हुए। इसी दौरान 1906 में ढाका में मुस्लिम लीग ने आकार लिया। यह सामाजिक, धार्मिक और राजनीतिक संगठन ही आगे राष्ट्रवादी चेतना की प्रेरणा बने।



      • 1905 में लॉर्ड कर्जन ने बंगाल का विभाजन किया। इससे बंगाल भड़क उठा। कांग्रेस नेतृत्व ने इसे "बांटो और राज करो" की नीति बताया। बंगाल से उठी राष्ट्रवाद की प्रचंड धारा से वंदे मातरम कांग्रेस का राष्ट्रगीत बना। बंकिम चंद्र चटर्जी के उपन्यास आनंद मठ से लिए इस गीत को रबींद्र नाथ टैगोर ने संगीतबद्ध किया था।



      • बंगाल में कलकत्ता समेत सभी इलाकों में विदेशी कपड़ों की होली जलाई गई। पूरे देश में "बंग भंग" आंदोलन की चिंगारी पहुंच गई। यह आग पूना, मद्रास और बॉम्बे में भी फैली। अंग्रेजी पढ़ाई का विरोध हुआ। पंडित मदन मोहन मालवीय ने 1910 में बनारस हिंदू विश्वविद्यालय की स्थापना की।



      • वहीं, ब्रिटेन में भी हालात बदल रहे थे। 1906 में लिबरल पार्टी ने चुनाव जीते और भारत को देखने का नजरिया बदला। कम से कम दिखाया तो ऐसा ही। वायसराय लॉर्ड मिंटो और भारत के लिए मंत्री जॉन मोर्ली ने सुधार लागू किए। भारतीयों को राजनीति और शासन में हिस्सेदारी दी गई।



      • 1910 में सुप्रीम काउंसिल में भारतीय सदस्य बढ़ गए। गोपालकृष्ण गोखले जैसे नेता उससे जुड़े। उन्होंने इस पर कहा था कि इससे पहले तक वे बाहर से हमला करते रहे, लेकिन अब अंदर से हमले भी कर सकेंगे।



      • पर इससे पहले ही 1907 में कांग्रेस दो धड़ों में टूट गई थी। गरम दल और नरम दल। नरम दल सरकार के साथ रहकर काम करना चाहता था। वहीं, गरम दल में "लाल-पाल-बाल' की तिकड़ी थी। यानी लाला लाजपत राय, बाल गंगाधर तिलक और विपिन चंद्र पाल।



      • तिलक ने क्रांतिकारी प्रफुल्ल चाकी और खुदीराम बोस के बम हमलों का समर्थन किया। उन्हें बर्मा की जेल भेज दिया गया। उसके बाद पाल और अरविंद घोष ने सक्रिय राजनीति से संन्यास ले लिया। धीरे-धीरे यह उग्र राष्ट्रवादी आंदोलन भी कमजोर पड़ गया। 1928 में लाला लाजपत राय की भी अंग्रेजों के लाठीचार्ज में मौत हो गई।



      • 1911 में मिंटो की जगह लॉर्ड हार्डिंग्ज आए और उन्होंने विभाजित बंगाल को एक कर दिया। लेकिन, बिहार और ओडिशा को अलग कर नया प्रांत बना दिया। राजधानी भी कलकत्ता से उठाकर दिल्ली ले आए। मुस्लिम लीग की मांग पर परिषदों में कुछ सीटें मुस्लिमों के लिए आरक्षित रखी गई।






      • 1907 में कांग्रेस दो धड़ों में टूट गई थी। गरम दल और नरम दल। गरम दल में "लाल-पाल-बाल" की तिकड़ी थी। यानी लाला लाजपत राय, बाल गंगाधर तिलक और विपिन चंद्र पाल।

        4. महात्मा गांधी से आजादी की लड़ाई तक (1915-1947): मोहनदास करमचंद गांधी यानी बापू 1915 में दक्षिण अफ्रीका से लौटे। वे वहां नस्लभेदी पाबंदियों के खिलाफ अहिंसक आंदोलन के प्रणेता थे। गोपालकृष्ण गोखले की सलाह पर उन्होंने सबसे पहले पूरे भारत का दौरा किया।




        • भारत का दौरा करने के बाद वे चंपारण, खेड़ा और अहमदाबाद के स्थानीय आंदोलनों से जुड़े। 1919 में रॉलट कानून के खिलाफ सत्याग्रह किया। यह ब्रिटिश शासन के खिलाफ पहला एकजुट आंदोलन था।



        • आंदोलनों को दबाने के लिए ब्रिटिश अधिकारियों ने दमनकारी हथकंडे अपनाए। अप्रैल 1919 में बैसाखी के दिन जलियांवाला बाग में जुटे प्रदर्शनकारियों पर गोलियां चलाई। इसमें 400 से अधिक लोग मारे गए थे।



        • जलियांवाला बाग हत्याकांड और खिलाफत आंदोलन की पृष्ठभूमि में 1920-21 में असहयोग आंदोलन शुरू हुआ। विदेशी कपड़ों की होली जलाई जाने लगी। देश के अलग-अलग हिस्सों के छुटपुट आंदोलन भी इससे जुड़ते चले गए।



        • फरवरी 1922 में किसानों ने चौरी-चौरा पुलिस थाने को आग लगा दी। 22 पुलिस वाले मारे गए। तब गांधीजी ने असहयोग आंदोलन वापस ले लिया। महत्वपूर्ण यह भी है कि इसी दशक में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी जैसे परस्पर विरोधी विचारों के दल भी बने।



        • उस समय कांग्रेस पूरी तरह से गांधी जी के प्रभाव में थी। जवाहरलाल नेहरू की अध्यक्षता में कांग्रेस ने 1929 में पूर्ण स्वराज का प्रस्ताव पारित किया। 26 जनवरी 1930 को पूरे देश ने स्वतंत्रता दिवस भी मनाया।



        • इस दौरान भगत सिंह, चंद्रशेखर आजाद, सुखदेव और अन्य मजदूरों और किसानों की क्रांति चाहते थे। हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन पार्टी भी बनाई थी। लाला लाजपत राय को पुलिस लाठीचार्ज में मौत के घाट उतारने वाले पुलिस अफसर सांडर्स की 17 दिसंबर 1928 को भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव ने हत्या कर दी।



        • इसके बाद बीके दत्त के साथ मिलकर भगत सिंह ने 8 अप्रैल 1929 को केंद्रीय विधान परिषद में बम फेंका। क्रांतिकारियों ने पर्चे में लिखा था कि उनका मकसद किसी की जान लेना नहीं बल्कि बहरों को सुनाना है। भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव को 23 मार्च 1931 को फांसी पर चढ़ाया गया।



        • इधर, गांधी जी ने 1930 में साबरमती से 240 किमी दूर स्थित दांडी तट तक मार्च किया। उन्होंने अंग्रेजों के नमक पर टैक्स वसूलने वाले कानून का विरोध किया। इसमें लोगों ने बड़े पैमाने पर उनका साथ दिया। यहीं से सविनय अवज्ञा आंदोलन शुरू हुआ।



        • भारत में हर स्तर पर राष्ट्रीय चेतना बढ़ गई थी, तब 1935 में गवर्नमेंट ऑफ इंडिया एक्ट बना। प्रांतों को स्वायत्तता दी गई। 1937 में चुनाव हुए तो 11 में से 7 प्रांतों में कांग्रेस की सरकार बनी थी।



        • 1939 में दूसरा विश्वयुद्ध छिड़ गया। कांग्रेस के नेता ब्रिटेन की मदद करना चाहते थे, लेकिन बदले में भारत की स्वतंत्रता की मांग कर रहे थे। अंग्रेजों ने बात नहीं मानी तो कांग्रेस सरकारों ने इस्तीफे दे दिए।



        • महात्मा गांधी ने दूसरे विश्व युद्ध के बाद भारत छोड़ो का नारा दिया। इसे दबाने के लिए ब्रिटिश सरकार को पसीना आ गया। कई इलाकों में तो लोगों ने अपनी सरकार तक बना ली थी। हालांकि, इस समय तक महात्मा गांधी की कांग्रेस पर पकड़ कमजोर हो गई थी।



        • इस बीच, सुभाषचंद्र बोस ने कांग्रेस नेताओं से मतभेद उभरने पर पार्टी छोड़ी और 1941 में जर्मनी के रास्ते सिंगापुर पहुंचे। वहां आजाद हिंद फौज बनाई। यह फौज 1944 में इम्फाल और कोहिमा के रास्ते भारत में प्रवेश करने में नाकाम हुई। अधिकारी गिरफ्तार हो गए।



        • दूसरे विश्वयुद्ध के बाद 1945 में अंग्रेजों ने कांग्रेस और मुस्लिम लीग से स्वतंत्रता पर बातचीत शुरू की। लीग चाहती थी कि उसे भारतीय मुसलमानों का प्रतिनिधि माना जाए, लेकिन कांग्रेस राजी नहीं थी। दोनों के बीच मतभेद भारत और पाकिस्तान में विभाजन का कारण बने। 14 अगस्त को पाकिस्तान और 15 अगस्त को भारत स्वतंत्र देश बन गए।






        • 15 अगस्त को देश आजाद हुआ। लाल किले के पास पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने दिल्ली के लाल किला स्थिति लाहौरी गेट पर तिरंगा फहराया था।

          Source Link

           Full story of independence: What happened from the coming of the East India Company to the departure of the British, how we became slaves and how freedom got


          No comments:

          IMPORTANT-------ATTENTION -- PLEASE

          क्या डबवाली में BJP की इस गलती को नजर अंदाज किया जा सकता है,आखिर प्रशासन ने क्यों नहीं की कार्रवाई