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एडवांस बिल के फरमान से उपभोक्ताओं में बेचैनी - चार माह के बिलों की औसत राशि करवानी होगी जमा

Dabwalinews.com
विद्युत निगम द्वारा उपभोक्ताओं को जोरदार झटका दिया गया है।मंदी के इस दौर में निगम ने उपभोक्ताओं से एडवांस बिजली बिल वसूलने की तैयारी की है। इसके लिए निगम की ओर से मौजूदा बिल के साथ-साथ एडवांस बिल का भी तकाजा शुरू किया जा रहा है। निगम के इस फरमान से उपभोक्ताओं में बेचैनी व्याप्त है।कोरोना की वजह से पिछले एक साल से तमाम आर्थिक गतिविधियां प्रभावित हुई है। लोगों की आय प्रभावित हुई है। रोजगार के साधन कम हुए है, आय के स्त्रोत प्रभावित हुए है। आय न होने से खरीददारी भी प्रभावित हुई है। हर वर्ग इससे प्रभावित हुआ है। ऐसे दौर में विद्युत निगम द्वारा उपभोक्ताओं से एडवांस बिजली बिल का तकाजा किया जाना, उन्हें भीतर तक हिलाने वाला फरमान साबित हो रहा है। चूंकि निम्र तथा निम्र-मध्यम वर्ग द्वारा घर चलाने के लिए बजट बनाया जाता है। बजट अनुसार ही खर्च तय किए जाते है। अप्रैल माह तो वैसे भी खर्चें का महीना होता है। इस माह बच्चों के एडमिशन, कापी-किताब खरीदने, गेहूं की खरीद के लिए अतिरिक्त पैसे की जरूरत होती है। ऐसे में एडवांस बिल का फरमान सिरदर्द पैदा करने वाला साबित हो रहा है।

ऐसे तय होगी एडवांस बिल की राशि

सिरसा। विद्युत निगम की ओर से उपभोक्ताओं के सालभर के बिलों का औसत निकाला जाएगा। इसके बाद चार माह यानि दो बिलों की औसत राशि उपभोक्ता से एडवांस वसूली जाएगी। यानि उपभोक्ता द्वारा यदि साल में (6 बिल) में 12 हजार रुपये की राशि अदा की गई है। तब इसका औसत 1000 रुपये महीना बनेगा। इस प्रकार निगम उपभोक्ता से चार महीने का यानि दो बिलों के बराबर 4 हजार रुपये जमा करवाने का तकाजा करेगा।

'एमएमसी का लग रहा चाबुक

विद्युत निगम द्वारा उपभोक्ताओं को पहले ही एमएमसी का चाबुक लगाया जा रहा है। एमएमसी यानि 'मंथली मिनीमम चार्जिजÓ के नाम पर उपभोक्ता से उन यूनिट का बिल भी वसूला जाता है, जिनकी उसने खपत नहीं की। निगम द्वारा हर उपभोक्ता का उसके सेक्शन लोड के अनुसार एमएससी तय किया हुआ है। उपभोक्ता भले ही पूरे महीना बिजली का इस्तेमाल न करें, उसे एमएमसी की राशि अदा करनी ही पड़ती है। सर्दियों में बिजली की खपत कम होती है, ऐसे में हजारों उपभोक्ताओं को बिना बिजली की खपत किए ही एमएमसी के रूप में बिजली बिल अदा करना पड़ता है। अचरज की बात यह है कि जब निगम द्वारा मीटर लगाए गए है और मीटर के अनुसार ही बिल वसूला जाता है। तब कम खपत करने पर उपभोक्ता की सराहना करने की बजाए उस पर एमएमसी का चाबुक चलाया जाता है।

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