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फर्जी फर्म संचालकों के खेल का असर,जीएसटी के नोटिस से ज्ञात हुआ दो फर्मों का मालिक है वो...

दस्तावेजों का गलत इस्तेमाल करने वालों के खिलाफ पुलिस से की शिकायत
Dabwalinews.com
दिहाड़ी-मजदूरी करके जीवनयापन करने वाले व्यक्ति को यह भी नहीं पता कि उसके नाम से फर्में बनी है और इन फर्मों के माध्यम से करोड़ों का कारोबार किया जा रहा है। जीएसटी विभाग द्वारा जब नोटिस थमाया जाता है, तब इस आश्य का पता चलता है कि उसकी फर्मों द्वारा करोड़ों के टैक्स की चोरी की गई है। विभाग के समक्ष पेश होकर वह अपना पक्ष रखें। करोड़ों का कारोबार करने वाली फर्मों का मालिक बनने की खुशी की बजाए ऐसे नोटिस से पैरों तले जमीन खिसक जाती है। ऐसा ही वाक्या शिव चौक के निकट इंद्रपुरी मोहल्ला निवासी अनिल वर्मा पुत्र अशोक कुमार के साथ घटित हुआ। अनिल वर्मा की ओर से थाना शहर को दी शिकायत में अपनी व्यथा का वर्णन किया गया है। बताया गया है कि 26 अक्टूबर 2021 को जीएसटी विभाग के तीन अधिकारी उसके पास आए और उसे एक नोटिस थमाया। जब नोटिस बारे पूछा तो बताया गया कि उसके नाम से फर्म बनी हुई है और इस फर्म द्वारा करोड़ों रुपये का कारोबार किया गया है। फर्म पर लाखों रुपये की टैक्स की देनदारी है। जीएसटी के अधिकारी ने एक मोबाइल नंबर उसे दिखाया, जिसे अपने मोबाइल की कान्ट्रेक्ट लिस्ट में जांचने पर उक्त नंबर लाला के नाम से सेव था। कहा गया कि फर्म बनाने के लिए इस मोबाइल नंबर का इस्तेमाल किया गया है।अनिल वर्मा ने पुलिस को दी शिकायत में बताया कि लाला उर्फ लालमन गोयल उर्फ रिषभ गोयल निवासी पुरानी हाऊसिंग बोर्ड कालोनी सिरसा का उसके पड़ोस की दुकान पर आना-जाना था, इसलिए पहचान हो गई। कुछ समय में उसने सुख-दुख सांझा करना शुरू कर दिया और उसका विश्वास जीत लिया। बीती 2 सितंबर 2017 को उसकी बहन की शादी तय हुई, जिसके लिए उसे पैसे की जरूरत थी। उसने इस बात का जिक्र लाला उर्फ रिषभ गोयल से किया। तब उसने बैंक से लोन करवाने का भरोसा दिलवाया। इस बीच रिश्तेदारी से ही पैसे का बंदोबस्त हो गया और उसकी बहन की शादी हो गई। इस दौरान लाला ने उससे बैंक लोन की एवज में पैनकार्ड, आधार कार्ड व बैंक के दस्तावेजों पर हस्ताक्षर भी करवाए। उसका एक्सिस बैंक में खाता भी खुलवाया। कुछ समय बाद बताया कि उसके नाम से फर्म बनाई है, फर्म का कारोबार दर्शाकर बैंक से लिमिट पास हो जाएगी। लाला ने बैंक की खाली चेकबुक और अन्य दस्तावेज पर उसके हस्ताक्षर भी करवा लिए। पुलिस को दी शिकायत में बताया कि जीएसटी विभाग के नोटिस से ही उसे यह ज्ञात हुआ कि उसके नाम से बनी फर्म द्वारा टैक्स की चोरी की गई है। उसने न तो कभी फर्म का संचालन किया और न ही उसका कोई कसूर है। ऋषभ गोयल उर्फ लाला ने उसके नाम से फर्जी फर्म बनाकर फर्जीबाड़ा किया है। इसलिए उसके खिलाफ मामला दर्ज किया जाए।

संगठित अपराधी है फर्जी फर्मों के सरगना

फर्जी फर्मों के लिए सिरसा कुख्यात हो चुका है। पूरे उत्तर भारत में सिरसा की फर्जी फर्मों को लेकर धाक है। पूरे देश ही नहीं बल्कि विदेशों में भी दो नंबर में माल लाने-ले जाने का दावा सिरसा की फर्जी फर्मों द्वारा किया जाता है। पिछले दो दशक से फर्जी फर्मों के कारोबार से अकूत संपत्ति जुटाने वालों द्वारा अलग ही साम्राज्य स्थापित किया जा चुका है। अनेक मामले सामने आए। दर्जनों एफआईआर दर्ज हुई। लेकिन आजतक किसी भी जांच एजेंसी का हाथ फर्जी फर्मों के सरगनाओं के गिरेबां तक नहीं पहुंच पाया। दरअसल, फर्जी फर्मों के कारोबार से सुनियोजित ढंग से कारोबार का संचालन किया जाता है। इस कारोबार से जुड़े लोगों द्वारा शुरूआती दौर में फर्जी एसटी-15, सी-फार्म के साथ धोखाधड़ी का कारोबार शुरू किया गया। इसके बाद वैट की चोरी और अब जीएसटी की चोरी का खेल जारी है। न केवल सिरसा और हरियाणा बल्कि देश के विभिन्न भागों में फर्जी फर्मों के मामले दर्ज किए जा चुके है।

नेटवर्क की गहरी है जड़ेें
फर्जी फर्मे बनाकर देश को आर्थिक रूप से चपत लगाने वालों का नेटवर्क इतना विस्तार लिए हुए है कि आजतक सरगनाओं का बाल भी बांका नहीं हुआ। पैसे के बलबूते किसी भी प्रकार की जांच को प्रभावित करने की क्षमता रखते है। बड़े अधिकारी और रसूखदार लोग उनके आगे नतमस्तक दिखाई देते है। ड्राइवर, माली, चाय बनाने वाले, खोखे वाले, पकौड़े बनाने वालों के नाम पर फर्जी फर्म बनाई जाती है। उन फर्मों के माध्यम से कारोबार दर्शाया जाता है। बैंकों से डीलिंग सरगनाओं द्वारा ही की जाती है। अधिकांश मामलों में प्राइवेट बैंकों में ही फर्जी फर्मों के बैंक खाते संचालित किए जाते है। आबकारी एवं कराधान विभाग के अधिकारी-कर्मचारियों की सरगनाओं से संलिप्तता सामने आ चुकी है। दर्जनों अधिकारियों के खिलाफ मामले दर्ज है। कराधान विभाग के अधिकारियों द्वारा फर्जी फर्मों के संचालकों को लाखों रुपये का रिफंड तक किया गया। आजतक नेटवर्क को तोड़ पाने में सरकार कामयाब नहीं हो पाई।

एसपी अर्पित जैन से बढ़ी अपेक्षाएं
फर्जी फर्मों का संचालन करके कैसे सरगना अब तक बच सके और कराधान विभाग के संलिप्त अधिकारियों-कर्मचारियों के सिंडिगेट पर चोट की उम्मीद अब एसपी अर्पित जैन से की जा रही है। उनकी ओर से मामले में जांच टीम का गठन भी किया गया है। पुलिस ने धरपकड़ भी शुरू की। लेकिन पुलिस की जांच टीम अपेक्षित परिणाम अभी तक दे नहीं पाई है। चूंकि पुलिस पर पहले ही किसान आंदोलन और फिर ऐलनाबाद उपचुनाव का अतिरिक्त बोझ आ गया था। अब उम्मीद की जा रही है कि आर्थिक अपराध करने वाले पुलिस के शिकंजे से बच नहीं पाएंगें? यहां यह भी उल्लेखनीय है कि डा. अर्पित जैन आर्थिक अपराधों के मामलों के विशेषज्ञ भी बताए जाते है।

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