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सूचना आयोग के आदेश पर भी सूचना उपलब्ध न करवाने का मामला = आयोग का ईओ संदीप सोलंकी को नोटिस

Dabwalinews.com
राज्य सूचना आयोग के आदेशों की पालना न करने पर नगर परिषद के तत्कालीन कार्यकारी अधिकारी (ईओ) संदीप सोलंकी को नोटिस किया गया है।आयोग के समक्ष नगर परिषद के ईओ संदीप मलिक द्वारा जवाब दाखिल करते हुए बताया गया है कि आयोग के आदेशों की पालना के मामले में कथित ढिलाई के समय ईओ के रूप में संदीप सोलंकी सिरसा में कार्यरत थे।
आयोग ने ईओ संदीप मलिक को ही ईओ संदीप सोलंकी को आयोग की ओर से जारी नोटिस भिजवाने के आदेश दिए है। साथ ही ईओ संदीप मलिक को एक माह के भीतर वांछित सूचना प्रदान करने के आदेश दिए है। मामले की सुनवाई के लिए 20 दिसंबर का दिन तय किया गया है।वर्णनीय है कि आरटीआई कार्यकत्र्ता इंद्रजीत अधिकारी निवासी चत्तरगढ़पट्टी की ओर से नगर परिषद में हुए 73 लाख से अधिक के जीएसटी गबन मामले में नगर परिषद सिरसा से 22 अक्टूबर 2018 को जानकारी मांगी थी। नगर परिषद ने यह कहकर जानकारी देने से इंकार कर दिया कि मामले की जांच जारी है। इस मामले में प्रथम अपीलीय अधिकारी-सह-नगराधीश सिरसा के समक्ष अपील की गई। अपीलेंट अधिकारी ने नगर परिषद की दलील को खारिज कर दिया और 27 फरवरी 2019 को वांछित सूचना देने के निर्देश दिए। इसके बावजूद नगर परिषद ने जब सूचना प्रदान नहीं की तो राज्य सूचना आयोग का द्वार खटखटाया गया।मामला राज्य सूचना आयुक्त जय सिंह बिश्नोई के पास सुनवाई के लिए पहुंचा। आयोग ने 2 मार्च 2020 को मामले में नगर परिषद को मांगी गई सूचना प्रदान करने के आदेश दिए। मगर, नगर परिषद ने वांछित सूचना प्रदान नहीं की। जिस पर सूचना आयोग ने 20 नवंबर 2020 को शोकॉज नोटिस जारी किया। मामले में आयोग की ओर से बार-बार आदेश दिए गए, लेकिन नगर परिषद के अधिकारियों के कानों पर जूं तक नहीं रेंगी। आयोग ने अब नगर परिषद के वर्तमान ईओ संदीप मलिक की जिम्मेवारी तय कर दी है, साथ ही अब तक सूचना प्रदान न करने को लेकर तत्कालीन ईओ संदीप सोलंकी को नोटिस जारी किया है।
क्या था मामला
नगर परिषद द्वारा दुकानों से जो किराया व आय अर्जित होती है, उस पर टैक्स अदा करना होता है। नगर परिषद द्वारा टैक्स की राशि बैंक में चालान के माध्यम से भरी जाती है, जोकि जीएसटी विभाग के पास जमा होती है। लेकिन 2012 से 2017 की अवधि में जीएसटी विभाग को अपेक्षित राशि जीएसटी के रूप में हासिल नहीं हुई। माल और सेवाकर आसूचना महानिदेशालय गुरुग्राम ने जब पड़ताल की तो घोटाला सामने आया। जीएसटी इंटेलिजेंस ने अप्रैल-2013 से जून-2017 तक के वाऊचरों की जांच की और जांच उपरांत 63 लाख 23 हजार 244 रुपये का गबन पाया। इंटेलिजेंस द्वारा मामले की जब पड़ताल की गई तो जांच का दायरा जुलाई-2012 तक बढ़ा दिया गया। इस अवधि में गबन की राशि बढ़कर 73 लाख 516 पहुंच गई। लगभग 5 साल तक जीएसटी के गबन का खेल नगर परिषद में खेला गया। पूरे मामले को लेकर आरटीआई में जानकारी मांगी गई, परिषद अधिकारियों ने मामले पर पर्दा डालने के लिए जांच का बहाना बनाया और सूचना प्रदान नहीं की। राज्य सूचना आयोग द्वारा 2 मार्च 2020 को आदेश जारी करने पर भी आजतक सूचना प्रदान नहीं की गई है।

लगभग 50 लाख रुपये करवाए जा चुके जमा

जीएसटी गबन के मामले में जिला उपायुक्त द्वारा एसडीएम डा. जयवीर यादव की अगुवाई में जांच कमेटी गठित की गई। जांच कमेटी ने तत्कालीन ईओ एसके गोयल, आरसी बिश्नोई, बीएन भारती, ओपी सिहाग, अत्तर सिंह, तत्कालीन एसडीएम परमजीत चहल, तत्कालीन प्रधान सुरेश कुक्कू और शीला सहगल, तत्कालीन लेखाकार केसरी सिंह, रिटायर्ड लिपिक नरेश कुमार, रिटायर्ड लेखाकार सुरेंद्र कुमार, सेवादार बृजलाल तथा राजेंद्र मिढ़ा को नोटिस दिए गए थे। मामले की जांच के दौरान ही लगभग 50 लाख रुपये की गबन की गई राशि सरकारी खजाने में जमा करवाई जा चुकी है। जानकारी के अनुसार मामले में एसडीएम द्वारा अपनी रिपोर्ट उपायुक्त को और उपायुक्त अनीश यादव की ओर से कार्रवाई के लिए स्थानीय निकाय विभाग को अनुशंसा की जा चुकी है।

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