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जिला प्रशासन कर रहा हादसे रोकने की कवायद ,'जुगाड़' वाहनों पर कब लगेगी रोक?

Dabwalinews.com
पुलिस व प्रशासन के स्तर पर धुंध व कोहरे के दौरान सड़क हादसों को रोकने की रणनीति बनाई गई है। जिसके लिए हरसंभव प्रयास किए जा रहे है।कोशिश यह है कि सड़क पर हादसा न हों और जान-माल का नुकसान न होने पाए। इस दिशा में वाहनों के पीछे रिफ्लेक्टर लगाए जा रहे है। सड़क किनारे झाडिय़ों को काटा जा रहा है। सड़कों पर पीली पट्टी लगाई जा रही है। वाहन चालकों को सतर्क किया जा रहा है। शराब पीकर वाहन चलाने वालों को टोका जा रहा है। पुलिस व प्रशासन के प्रयास एकतरफ और जुगाड़ वाहनों का सड़क पर दौडऩा दूसरी तरफ बना हुआ है।
जुगाड़ वाहनों की वजह से हर संभव हादसे की आशंका बनी रहती है। मगर, ऐसे वाहनों पर कोई अंकुश नहीं लगाया जाता है। मोटरसाइकिल आधारित जुगाड़ का कुछ अधिक ही प्रचलन हो गया है। मोटरसाइकिल के पीछे ट्राली का भी प्रचलन होने लगा है। इन जुगाड़ का भारी भरकम सामान ढोने के लिए इस्तेमाल किया जाने लगा है। मोटरसाइकिल आधारित ऐसे जुगाड़ पर रेता, बजरी, सीमेंट के अलावा सरिया और लोहे के गार्डर भी ढोए जाते है। सायं के समय ऐसे जुगाड़ वाहन हादसे की वजह बनते है। इसके साथ ही इन दिनों यातायात जाम की वैसे ही समस्या बनी हुई और ऐसे जुगाड़ के कारण दुर्घटना की प्रबल आशंका बनी रहती है। मोटरसाइकिल आधारित ऐसे जुगाड़ की वजह से सरकार को टैक्स अदा करने वाले छोटा हाथी जैसे वाहनों का इस्तेमाल करने वालों का धंधा भी चौपट हो चुका है। अनेक बेरोजगार युवा बैंकों से लोन लेकर छोटे हाथी का संचालन करते है। सरकार को विभिन्न प्रकार का टैक्स अदा करते है, मगर बाइक आधारित जुगाड़ लोगों की जान जोखिम में डालकर सड़क पर सरपट दौड़ते हुए देखे जा सकते है। धुंध व कोहरे में तो ऐसे जुगाड़ की वजह से हादसा होना तय ही है। पुलिस व प्रशासन को चाहिए कि ऐसे जुगाड़ वाहनों को इंपाऊंड करें, क्योंकि नियमानुसार किसी भी वाहन की बॉडी का मोडिफिकेशन नहीं किया जा सकता।
पीटर रेहड़ों की भी अनदेखी

 जिन पीटर रेहड़ों के मामले में उच्च न्यायालय द्वारा रोक लगा दी गई, ऐसे पीटर रेहड़े भी सड़कों पर दौड़ते हुए देखे जा सकते है। खासकर मंडी एरिया में ऐसे पीटर रेहड़े ओवरलोड होकर ढुलाई करते हुए मिल जाएंगे। चूंकि इन पीटर रेहड़ों का न तो कोई रजिस्टे्रशन होता है और न ही बीमा। हादसे की स्थिति में घायल के हित असुरक्षित रहते है। न्यायालय पीटर रेहड़ों का सड़क पर दौडऩा बैन कर चुका है। इसके बावजूद सिरसा की हद में कई पीटर रेहड़े दौड़ते हुए दिख जाते है। कस्बा में तो उन्हें बेरोकटोक दौड़ते हुए देखा जा सकता है। आखिर पीटर रेहड़ों के सड़क पर उतरने की कैसे अनदेखी की जा सकती है?

ई-रिक्शा पर भी लगें लगाम

इन दिनों बैट्री आधारित ई-रिक्शा की जैसे शहर में बाढ़-सी आ गई है। बालिग हो या नाबालिग, हरेक के हाथ में ई-रिक्शा है। न ट्रेफिक नियम की परवाह और न ही दूसरों की सुरक्षा की। जहां सवारी दिखीं, वहां ब्रेक लगा दी। न दाएं देखते है और न ही बाएं। सड़क पर बिना रजिस्ट्रेशन और बिना बीमा के दौड़ रहें ऐसे ई-रिक्शा की वजह से न तो इन पर सवार यात्रियों की कोई सुरक्षा है और न ही इनकी वजह से घायल होने वाले के हित ही सुरक्षित है। आरटीए विभाग की ओर से ई-रिक्शा चालकों को रजिस्ट्रेशन करवाने और नंबर लेने की हिदायत अवश्य दी थी। कुछेक ई-रिक्शा चालकों ने नियमों की पालना भी की और नंबर प्लेट भी लगवाई। अधिकांश ई-रिक्शा नियमों की धज्जियां उड़ाते हुए दौड़ रही है। आमजन के हितों की सुरक्षा के लिए ई-रिक्शा के लिए नियमों की पालना करवाया जाना सुनिश्चित किया जाना चाहिए।

ओवरलोड से न किया जाए समझौता

पुलिस व प्रशासन की ओर से सड़क हादसे रोकने के लिए कवायद की जा रही है। ऐसे में पुलिस व प्रशासन को ओवरलोड वाहनों के साथ सख्ती दिखानी होगी। आश्चर्य होता है कि सिरसा शहर में ट्रेक्टर-ट्रालियों पर 25-25 टन माल की ढुलाई की जाती है, जबकि ट्रकों को 9 टन माल ढोने की ही इजाजत है। वैसे भी ट्रेक्टर-ट्रालियों का कमर्शियल इस्तेमाल किए जाने पर चालान का प्रावधान है। सवाल यह है कि आखिर ट्रेक्टर-ट्रालियों माल की ढुलाई के कार्य में किसकी सहमति से दौड़ती है? ओवरलोड ट्रालियों की वजह से हादसे की भी आशंका बनी रहती है। ट्रेक्टर-ट्रालियों का व्यवसायिक प्रयोग रोकने के साथ ही ओवरलोड वाहनों के खिलाफ सख्ती बरतकर संभावित हादसों को रोका जा सकता है।

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