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पुलिस रिमांड में डीएफएससी राजेश आर्य ने उगले राज! करोड़ों रुपये के गेहूं घोटाले का आरोपी 5 दिन के है रिमांड पर, आधा दर्जन सहयोगियों के नाम उजागर

Dabwalinews.com
करोड़ों रुपये के गेहूं घोटाले में सिरसा पुलिस द्वारा गिरफ्तार किए गए जींद के जिला खाद्य एवं आपूर्ति नियंत्रक राजेश आर्य ने रिमांड के दौरान कई खुलासे किए है।राजेश आर्य को बीती 30 दिसंबर को जींद से गिरफ्तार करके अदालत से पांच दिन के रिमांड पर लिया गया है। सूत्र बताते है कि पुलिस रिमांड के दौरान आरोपी ने अपने आधा दर्जन सहयोगियों के नाम का खुलासा किया है। इसके साथ ही गबन के मामले में अन्य राज भी उगले है। वर्णनीय है कि सिरसा में 15 हजार क्विंटल गेहूं के घोटाले को अंजाम दिया गया था। इस घोटाले को डीएफएससी स्तर के अधिकारियों ने अंजाम दिया। जिसमें विभाग के चार डीएफएससी, दो एएफएसओ, आधा दर्जन इंस्पेक्टर और 58 डिपू होल्डरों को नामजद किया गया था। वर्ष 2017 में तत्कालीन डीएफएससी अशोक बांसल की शिकायत पर शहर सिरसा पुलिस ने मामला दर्ज किया था। लगभग तीन वर्षों तक इस मामले को दबाने की कोशिश की गई। उच्च न्यायालय के हस्तक्षेप के बाद जिला पुलिस ने एसआईटी का गठन किया। पुलिस अधीक्षक भूपेंद्र सिंह के दिशा-निर्देश पर पुलिस ने अपनी कार्रवाई आरंभ की। सिरसा में बतौर डीएफएससी तैनात रहें राजेश आर्य वर्तमान में जींद में कार्यरत है। उनकी ओर से अदालत में अग्रिम जमानत के लिए आग्रह किया गया था, लेकिन अदालत ने उनकी अग्रिम जमानत याचिका स्वीकार नहीं की। बीती 30 दिसंबर को सिरसा पुलिस राजेश आर्य को जींद से दबोचकर सिरसा लाई और अदालत में पेशकर पांच दिन का रिमांड मांगा। फिलहाल डीएफएससी राजेश आर्य पुलिस रिमांड पर है।
तार जोडऩे में जुटी पुलिस
 सूत्रों के अनुसार पुलिस रिमांड में राजेश आर्य ने सच उगलना शुरू कर दिया है। पुलिस की ओर से पूरे मामले को जानने का प्रयास किया गया। करोड़ों रुपये के घोटाले को अंजाम देने की पद्वति के बारे में पूछताछ की गई। पुलिस की ओर से मामले के आरोपी के बैंक खातों व बेनामी संपत्ति के बारे में भी जानकारी जुटाने की कोशिश की गई है। सूत्र बताते है कि राजेश आर्य द्वारा 8 लोगों के नाम उजागर किए गए है, जिनमें दो लोग पहले ही नामजद है। शेष 6 नए लोगों के नाम घोटाले में सामने आए है। हालांकि राजेश आर्य द्वारा स्वयं के बचाव के लिए अनेक दलील दी गई है। लेकिन पुलिस पूरे मामले की कडिय़ां जोडऩे में जुटी है और रिकवरी के भी प्रयास कर रही है।
 यूं कसा पुलिस ने शिकंजा
 लगभग तीन करोड़ के गेहूं घोटाले के मामले में एसआईटी द्वारा धरपकड़ की शुरूआत 9 दिसंबर से की गई। पुलिस की आधा दर्जन टीमों ने एक साथ आधा दर्जन अधिकारियों को दबोचने में कामयाबी हासिल की। पुलिस ने जिला खाद्य एवं आपूर्ति अधिकारी नरेंद्र सरदाना, एएफएसओ जगतपाल, इंस्पेक्टर संजीव कुंडू, सेवानिवृत्त अशोक कुमार, कान्फेड के स्टोर कीपर रविंद्र कुमार व सेवानिवृत्त स्टोर कीपर महेंद्र मेहता को गिरफ्तार किया था। इसके बाद पुलिस ने 21 दिसंबर को डिपू होल्डर नरेश सैनी व उसके भाई गोपी सैनी तथा डिपू होल्डर विजय को गिरफ्तार किया था। मामले में डीएफएससी राजेश आर्य को बीती 30 दिसंबर को गिरफ्त में लिया गया। मामले में 58 डिपू होल्डर नामजद है।
गहरी है घोटाले की जड़े
 खाद्य एवं आपूर्ति विभाग में घपले-घोटाले का सिलसिला नया नहीं है। बल्कि कई दशकों से यह सिलसिला चल रहा था। हालांकि वर्तमान मामला वर्ष 2015-16 से संबंधित है। जिसमें जिला के 58 डिपू होल्डरों के अलावा 4 डीएफएससी, दो एएफएसओ व 6 निरीक्षक नामजद है। मामले में कार्रवाई की मांग करने वाले डिपू होल्डर की ओर से यह भी आरोप लगाया गया था कि विभागीय अधिकारियों ने अनेक बेगुनाह डिपू होल्डरों को भी जानबूझकर आरोपी बनाया। शिकायत में आरोप लगाया कि एएफएसओ नरेंद्र सरदाना व तत्कालीन डीएफएससी ने जिन डिपूओं की सप्लाई निलंबित की, उनका राशन दूसरे डिपूओं को जानबूझकर ट्रांसफर नहीं किया। शिकायत में बताया कि जिन डिपू धारकों ने घोटाला किया, उन्हें इन अधिकारियों ने महज 5 हजार रुपये की सिक्योरटी राशि जब्त करके छोड़ दिया। जबकि डिपू होल्डरों द्वारा किया गया घोटाला लाखों रुपये का था। ऐसे में यदि जांच का दायरा बढ़ा तो कई अन्य की गर्दन फंसना तय है।
कैसे आनलाइन होते ही गायब हो गए उपभोक्ता?
 खाद्य एवं आपूर्ति विभाग में राशन का गबन सुनियोजित ढंग से किया गया। अचरज की बात तो यह है कि राशन डिपूओं के पास वर्ष 2016 में जितने राशन की आपूर्ति की जाती थी, राशन वितरण प्रणाली ऑनलाइन होने पर राशन की मात्रा महज 20 प्रतिशत ही कैसे रह गई? यानि 80 प्रतिशत फर्जी उपभोक्ता दर्शाकर राशन डकारा गया। सिरसा व कालांवाली में बीपीएल को एएवाई दर्शाकर राशन डकारा गया। यह मामला भी अभीतक जांचाधीन है।
निकाला जाएगा मिट्टी का तेल!
 विभागीय अधिकारियों को अब मिट्टी के तेल के गबन का भी अब हिसाब देना होगा। विभागीय अधिकारियों ने बड़े स्तर पर मिट्टी के तेल की ब्लैक की। चूंकि विभागीय अधिकारियों को यह ज्ञात था कि कितने लोगों के पास रसोई गैस के कनेक्शन है। रिकार्ड में यह संख्या होने के बावजूद अधिक मिट्टी का तेल प्राप्त किया गया, जिसे उपभोक्ताओं को वितरित न करके कालाबाजारी में बेच डाला गया। पुलिस रिमांड पर अब इसका भी खुलासा होगा।

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