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हठ में अटके कृषि कानून

Dabwalinews.com
केंद्र सरकार द्वारा इजाद किए गए तीन कृषि कानून खेती व खेतीहारों के लिए कितने कारगार होंगे यह तो अभी भविष्य के गर्भ में छिपा हैं मगर इससे पहले इन कानूनों को लेकर बने हठ ने राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के साथ-साथ हरियाणा,उत्तर प्रदेश,पंजाब,राजस्थान सहित समूचे उत्तरी भारत को बुरी तरह प्रभावित कर दिया है। राष्ट्रीय राजधानी से संपर्क कम हो जाने के कारण इस पर टिके कारोबार पीटने लगे हैं। किसान संगठनों व केंद्र सरकार के बीच ग्यारह दौर की वार्ता के बाद स्थिति वही ढाक के तीन पात जैसी है। हठ इतना कड़ा हो गया है कि न केंद्र झुके न किसान। कोरोना काल के चलते केंद्र सरकार द्वारा संसद में पारित किए गए तीन कृषि कानूनों को लेकर सबसे पहले उत्तरी भारत के पंजाब राज्य में किसान संगठनों ने चुनौती देते हुए करीब छह माह पहले आदोंलन छेड़ा। सबसे पहले जिला मुख्यालयों पर रोष प्रदर्शन के बाद किसानों ने राष्ट्रीय राजमार्गों पर बैठकर अवरूद्ध किया ओर टाले नाकों को पर्ची मुक्त करवाया। आदोंलन शनै:शनै: आगे बढ़ा तो रेलवे ट्रेक भी रूक गए और किसानों ने बड़े उद्योग घरानों अम्बानी व अडानी के समूहों से जुड़े कारोबार जैसे रिलांयस के पैट्रोल पंप व अन्य बड़े प्रतिष्ठानों पर तालाबंदी करवा दी जो आज जस की तस है। कमोबेस हरियाणा के राष्ट्रीय मार्गों पर भी टोल नाके भी पर्ची मुक्त हैं।किसान आदोंलन की पंजाब से जुलाई 2020 से सुलगी आग हरियाणा में पहुंची ओर प्रदेश के 17 किसान जत्थेबंदियों ने पहले 10 सितंबर को पीपली व उसके बाद सिरसा में 6 अक्तूबर को एक विशाल किसान महापंचायत का आयोजन रखा। इस किसान महापंचायत में जुटे युवा किसानों का खून खोला तो वे हजारों की तादाद में किसान प्रदेश के उप-मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला व उनके ही दादा बिजली व जेल मंत्री रणजीत सिंह के सिरसा स्थित आवासों के घेराव को निकल पड़े,जिनकी नगर के बाबा भूमण शाह चौक पर पुलिस से मुकाबला हुआ तो आसूं गैंस व वाटर कैनन का उपयोग हुआ जिसका हरियाणा व पंजाब की किसान जत्थेबंदियों ने कड़ा संज्ञान लिया और आदोंलन राज्यों की बजाय केंद्र यानि दिल्ली में करने की ठानी ओर अपने ट्रेक्टर-ट्रालियों,जीपों व अन्य वाहनों से दिल्ली कूच कर गए। लाखों की तादाद में दिल्ली रवाना हुए किसानों को प्रारम्भिक दौर में केंद्र सरकार व उससे जुड़ी गुफिया एजेंसियों ने हल्के में लिया मगर यही भीड़ इतना विकराल रूप धारण कर गई कि आज केंद्र के साथ साथ दिल्ली व हरियाणा सरकारों के गले की फांस बन गई है। हरियाणा प्रदेश की स्थिति तो ऐसी बन गई है कि प्रदेश के मुख्यमंत्री से लेकर अन्य मंत्री तक सड़कों पर नहीं निकल पा रहे हैं। प्रदेश के मुख्यमंत्री मनोहर लाल व उप-मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला की हवाई यात्रा तक आदोंलनकारी किसानों ने डिस्टर्ब कर दी। मंत्रियों के आवासों पर भारी पुलिस बल हर वक्त तैनात है। हरियाणा प्रदेश में विकास कार्यों या अन्य किसी चर्चा की बजाय किसान आदोंलन मात्र हर किसी की जुबां पर चढ़कर रह गया है। जिला मुख्यालयों पर गणतंत्र दिवस समारोह आयोजन को लेकर प्रदेश सरकार चिंतित है। राज्य सरकार ने कुछ जिलों में मंत्रियों के बाद जिला उपायुक्तों को ही ध्वजारोहण की इजाजत दे दी है। राज्य सरकार ने हरियाणा पुलिस के जवानों की छुट्टियां रद्द कर दी हैं। हरियाणा व पंजाब में किसान आदोंलन का इतना असर है कि हर किसान अपने बड़े छोटे वाहनों के साथ-साथ घरों पर राजनीतिक दलों के झंडे छोड़ किसान संगठनों के झंडे लगा रहा है। पंजाब के फाजिल्का से लेकर दिल्ली तक राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 9 पर दिल्ली जाने वाले किसानों के लिए लगाए गए लंगर अपने आप में अनोखा उदाहरण है। पंजाब के साथ-साथ हरियाणा से आए रोज दूध,खाना,गर्म कपड़े,बिस्तर,लकड़ी सहित रोजमर्रा की वस्तुओं का भेजना बदस्तूर जारी है। आदोंलनकारी किसानों को परोसे जा रहे पकवान व अन्य सुविधाओं से दिल्ली के मीडिया के अलावा अन्य देखने वाले लोग भी हैरत में हैं।
एमरजेंसी काल के आदोंलन के बाद देखा जाए तो हरियाणा,राजस्थान व दिल्ली की सरहद पर किसानों का आदोंलन संभवत: भारतीय इतिहास का इतने लम्बे समय तक चलने वाला सबसे बड़ा आदोंलन है। 26 जनवरी को दिल्ली के रिंग रोड़ पर गणतंत्र दिवस पर किसान ट्रैक्टर-ट्राली परेड मार्च को लेकर अडिग हैं। हालांकि किसानों का लम्बे समय तक चला आदोंलन अभी तक उग्र रूप नहीं ले पाया इसलिए देश की सर्वोच्च अदालत ने भी इस पर पाबंदी लगाने से मना कर दिया है ,इसके बाद अब लाखों किसानों की ट्रैक्टर-ट्रालियों के जरिये दिल्ली में एंट्री दिल्ली पुलिस के लिए बेहद सिरदर्दी का सबब बन गई है। हालांकि किसान नेता गुरनाम सिंह चंढूनी ने दावा किया है कि उनका मार्च शांतिपूर्वक होगा मगर इस भीड़ में चलते युवा किसानों का खून खोल गया तो उन्हें कौन रोकेगा यह सवाल सबको सता रहा है?

लेखक राजेंद्र कुमार,प्रधान द प्रैस क्लब सिरसा,हरियाणा।

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