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HPS स्कूल में वर्च्युल तरीके से मनाया गया मिसाइल "मैन डॉक्टर अब्दुल कलाम का जन्म दिवस कलाम को सलाम"

डबवाली न्यूज़ डेस्क 
एचपीएस सीनियर सकैंडरी स्कूल में मिसाइल मैन डॉक्टर अब्दुल कलाम का जन्म दिवस कलाम को सलाम वर्च्युल तरीके से मनाया गया । इस अवसर पर बोलते हुए विद्यालय निेर्देशक एवं प्रिंसीपल आचार्य रमेश सचदेवा ने विद्यार्थियों को सम्बोधित करते हुए कहा कि डा. अब्दुल कलाम का जन्म 15 अक्टूबर 1931 को हुआ था। इस दिन को यूनाइटेड नेशन ने 2010 में वर्ल्ड स्टूडेंट्स-डे भी घोषित किया था। तब से हर साल 15 अक्टूबर को स्टूडेंटस-डे भी मनाया जाता है। कलाम एक ऐसा नाम जिस पर हर भारतीय को गर्व है। वे बच्चों के प्रति अपार प्रेम रखते थे। जैसा कि हम सभी जानते हैं डॉक्टर कलाम ने हमेशा अपने ज्ञान को बच्चों को बांटा। वह जहां जाते थे बच्चों से वार्तालाप करते थे और उन्हें अपना लक्ष्य निर्धारित करने की सलाह देते थे। अपने हर लेक्चर में कलाम छात्रों को नया और प्रेरणादायक उपदेश देते। आज हम सब उनको याद कर रहे हैं और उनके प्रति अपनी कृतज्ञता व्यक्त करते हैं। हम सब आज यह जानना चाहेंगे कि इस दिन को वर्ल्ड स्टूडेंट्स-डे के नाम से क्यों मनाया जाता है। डॉक्टर कलाम में छात्रों में प्रेरणा भरने का अद्भुत कौशल था। वैसे तो कलाम के अंदर कई तरह के कौशल विद्यमान थे। लेकिन वह वैज्ञानिक होने के साथ-साथ एक बेहतरीन शिक्षक भी। वह दुनिया को बताना चाहते थे कि एक शिक्षक बनना उनकी पसंदीदा जॉब है। वे हमेशा शिक्षा और लक्ष्य को प्रमोट करते थे। यही वजह थी कि यूनाइटेड नेशनस ने उनके जन्मदिवस को स्टूडेंटस-डे घोषित किया था। कलाम का छात्र जीवन काफी संघर्ष से भरा और चुनौतीपूर्ण रहा। लेकिन बाद में वे हर स्कूल और कॉलेज में लोकप्रिय रहे। पढ़ाई के दौरान कलाम के जीवन में एक ऐसा समय भी आया जब शिक्षा और परिवार का खर्च संभालने के लिए उन्होंने अखबार भी बेचा। उन्होंने हर पढ़ाई करने के लिए हर नकारात्मक परिस्थिति का सामना हँसकर किया। उनके चरित्र में सबसे दिलचस्प बात थी कि वह अपने प्रयोग में हमेशा सकारात्मक सोच रखते थे। इस सकारात्मक सोच से वे देश के महान वैज्ञानिक और बेहतरीन शिक्षक बनने के बाद उन्होंने राष्ट्रपति बनकर देश में अपना योगदान दिया। उनका जीवन दुनियाभर के लाखों करोड़ों छात्रों के लिए प्रेरणादायक रहा है और सदियों तक रहेगा। उन्होनें उनके जीवन के एक प्रसंग का वर्णन करते हुए बताया कि बच्चों के प्रति कलाम का प्यार देखकर एक बार एक पत्रकार ने अविवाहित कलाम से पूछा कि आपकी कोई अपनी संतान नहीं है फिर भी आपके अंदर बच्चों से इतना लगा कैसे है? तब मुस्कुराते हुए कलाम ने पत्रकार को जवाब दिया कि आप गलत है मेरे तीन बच्चे हैं। फिर पत्रकार कलाम की यह बात सुनकर हैरान रह गए। कलाम साहब ने कहा कि अपनी पृथ्वी, अग्नि और ब्रह्मोस को वे अपने बच्चे मानते हैं। पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल कलाम की जयंती पर इतिहास तथा भूगोल के लैक्चरार एम. आर. राजा जो कलाम साहब के घर के पास के ही रहने वाले है ने विद्यार्थियों को उनकी जीवन शैली के बारे में विस्तार से बताया। उन्होंने बताया कि वे भारत के चारों वीरता व सम्मान के पुरस्कारों से पुरस्कृत हुए। सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न, पद्यम भूषण, पदम विभूषण व इंदिरा गांधी नैश्नल इंटग्रेशन अवार्ड। हिन्दी की लैक्चरार छिन्द्रपाल कौर तथा गणित की अध्यापिका अलिशा ने बच्चों को प्रेरित किया। उन्होंने बताया कि उनके अनमोल विचारों विद्यार्थियों के लिए संजीवनी बूटी की तरह हैं। 5वीं कक्षा के अभिषेक तथा खुशी ने भी अपने विचार रखे। इस अवसर पर आज के दिन मनाए जाने वाले ग्लोबल हैंड वाशिंग-डे के बारे में भी बच्चों को जानकारी दी। बच्चों को बताया गया कि कोरोना पर विजय पाने के लिए हैंड वाशिंग का कितना सकारात्मक महत्त्व है तथा उपयोग है। विद्याथियों ने क्लाम साहब के विचारों से उन्हें याद किया। 2री कक्षा के कृष्णा तथा 4थी कक्षा की अंकिता बेन ने अध्यापकों से हैंड वाशिंग की जानकारी ली तथा उन्हें करके दिखाया।
अभिषेक ने कहा कि सपने वो नहीं जो हम सोते हुए देखते हैं, सपने वो है जो हमे सोने नहीं देते हैं। खुशी ने बताया कि एक अच्छी पुस्तक हजार दोस्तों के बराबर होती है, जबकि एक अच्छा दोस्त एक पुस्तकालय के बराबर होता है। हार्दिक ने कहा कि इंतजार करने वालों को सिर्फ उतना ही मिलता है, जितना कोशिश करने वाले छोड़ देते हैं।
नवजोत कौर ने बताया कि कुछ अलग तरीके से सोचें,कुछ नया करने का प्रयत्न करें,हमेशा अपना रास्ता खुद बनाएं और असंभव को हासिल करें।देवांश शर्मा ने बताया कि किसी विधार्थी की सबसे जरूरी विशेषताओं में से एक है-प्रश्न पूछना। इसलिए विद्यार्थीयो को प्रश्न पूछने दीजिए। और विद्यार्थी प्रश्न पूछने से संकुचांए नहीं।
पुश्कर सिंह ने कहा कि यदि तुम सूर्य जैसा चमकना चाहते हो, तो पहले सूर्य की तरह जलना सीखो..!! अर्शदीप सिंह ने कहा कि यदि चार बातों का पालन किया जाए, एक महान लक्ष्य बनाया जाए,ज्ञान अर्जित किया जाए, कड़ी मेहनत की जाए,और दृढ़ रहा जाए, तो कुछ भी हासिल किया जा सकता है। रीतिका राठौर ने कहा कि देश का सबसे अच्छा दिमाग, क्लास रूम की आखिरी बैंचो पर मिल सकता है। सौरभ सुथार ने कहा कि उम्र थका नहीं सकती, ठोकरें गिरा नहीं सकती, अगर जिद हो जितने की तो हार भी हरा नहीं सकती..!! अशमीत मोटन ने कहा कि जीवन में पहली सफलता के बाद रुकें नहीं, क्योंकि यदि आप दूसरे प्रयास में असफल हो गए, तो लोग यही कहेंगे कि आपकी पहली सफलता भाग्य की वजह से मिली।
Source Link - Press Release

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