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'सर्जिकल स्ट्राइक' से सुधरेगी खाद्य एवं आपूर्ति विभाग की सेहत ! गिरफ्तारी और रिकवरी से होगा सुधार, आमजन को मिलेगी राहत
डबवाली न्यूज़ डेस्क
आमजन से सर्वाधिक वास्ता रखने वाले खाद्य एवं आपूर्ति विभाग में दशकों से सर्जिकल स्ट्राइक की आवश्यकता थी।मगर, किसी भी अधिकारी की ओर से इतनी हिम्मत नहीं जुटाई जा सकीं, जितनी पुलिस अधीक्षक भूपेंद्र सिंह ने दिखाई। यदि पुलिस व प्रशासन की ओर से पहले भी इस प्रकार की कार्रवाई की हिम्मत दिखाई गई होती, तो आमजन को पहले ही राहत मिल चुकी होती। सरकारी खजाने को राजस्व के रूप में जो चपत लगी है, वह न लगती।दरअसल, खाद्य एवं आपूर्ति विभाग का घपलों-घोटालों से पुराना वास्ता है। न केवल सिरसा बल्कि पूरे प्रदेश में इस विभाग में सैकड़ों मामले चल रहे है। विभाग के उच्च पदस्थ अधिकारी भी भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरे है। सिरसा जिला में भी विभागीय अधिकारियों को किसी की परवाह नहीं थी। चोरी और सीनाजोरी तो जैसे उनकी नियती ही बन गई थी। घपले-घोटाले करने पर निलंबन को वे ठीक उसी प्रकार मानते थे, जैसे हेलमेट न पहनने पर पुलिस की ओर से दिए गए फूल! विभागीय अधिकारियों को न तो गिरफ्तारी की कभी आशंका रहीं और न ही कभी रिकवरी की। इसलिए घपले-घोटालों का खेल दशकों से चलता रहा।विभागीय अधिकारियों ने अधिकांश मामलों में ठीकरा डिपू होल्डरों पर ही फोडऩे का काम किया। उनकी सप्लाई रोक दी। डिपू कैंसिल कर दिया। विभाग द्वारा जब-जब दोषी पाए जाने पर निलंबित भी किया तो कुछ समय बाद ही बहाल कर दिया। कभी रिकवरी के ठोस प्रयास नहीं किए। वर्ष 2017 में दर्ज एफआईआर के बावजूद विभागीय अधिकारियों के चेहरे पर कभी शिकन तक दिखाई नहीं दी। जबकि 58 डिपू होल्डरों की सप्लाई रोक दी गई। अधिकारी अपनी ड्यूटी बजाते रहें। अचरज की बात यह है कि मामले की जांच करने वाले अधिकारियों को विभागीय अधिकारियों ने रिकार्ड देने में भी आनाकानी की। चोरी और सीनाजोरी का घटनाक्रम पुलिस अधिकारियों ने भी देखा। आखिरकार पुलिस अधीक्षक भूपेंद्र सिंह के दिशा-निर्देश पर पुलिस ने भ्रष्ट अधिकारियों को सबक सिखाने की दिशा में बड़ा कदम उठाया और बुधवार को आधा दर्जन अधिकारियों को गिरफ्तार कर सलाखों के पीछे पहुंचा ही दिया। ऐसी विभाग के अधिकारियों ने कभी उम्मीद नहीं की थी। जानकार बताते है कि जिला पुलिस की सर्जिकल स्ट्राइक का विभाग पर अब आने वाले वर्षों तक असर दिखाई देगा। खाद्य एवं आपूर्ति विभाग के कामकाज में बदलाव आएगा और आमजन को भी राहत मिल पाएगी।
आमजन से सर्वाधिक वास्ता रखने वाले खाद्य एवं आपूर्ति विभाग में दशकों से सर्जिकल स्ट्राइक की आवश्यकता थी।मगर, किसी भी अधिकारी की ओर से इतनी हिम्मत नहीं जुटाई जा सकीं, जितनी पुलिस अधीक्षक भूपेंद्र सिंह ने दिखाई। यदि पुलिस व प्रशासन की ओर से पहले भी इस प्रकार की कार्रवाई की हिम्मत दिखाई गई होती, तो आमजन को पहले ही राहत मिल चुकी होती। सरकारी खजाने को राजस्व के रूप में जो चपत लगी है, वह न लगती।दरअसल, खाद्य एवं आपूर्ति विभाग का घपलों-घोटालों से पुराना वास्ता है। न केवल सिरसा बल्कि पूरे प्रदेश में इस विभाग में सैकड़ों मामले चल रहे है। विभाग के उच्च पदस्थ अधिकारी भी भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरे है। सिरसा जिला में भी विभागीय अधिकारियों को किसी की परवाह नहीं थी। चोरी और सीनाजोरी तो जैसे उनकी नियती ही बन गई थी। घपले-घोटाले करने पर निलंबन को वे ठीक उसी प्रकार मानते थे, जैसे हेलमेट न पहनने पर पुलिस की ओर से दिए गए फूल! विभागीय अधिकारियों को न तो गिरफ्तारी की कभी आशंका रहीं और न ही कभी रिकवरी की। इसलिए घपले-घोटालों का खेल दशकों से चलता रहा।विभागीय अधिकारियों ने अधिकांश मामलों में ठीकरा डिपू होल्डरों पर ही फोडऩे का काम किया। उनकी सप्लाई रोक दी। डिपू कैंसिल कर दिया। विभाग द्वारा जब-जब दोषी पाए जाने पर निलंबित भी किया तो कुछ समय बाद ही बहाल कर दिया। कभी रिकवरी के ठोस प्रयास नहीं किए। वर्ष 2017 में दर्ज एफआईआर के बावजूद विभागीय अधिकारियों के चेहरे पर कभी शिकन तक दिखाई नहीं दी। जबकि 58 डिपू होल्डरों की सप्लाई रोक दी गई। अधिकारी अपनी ड्यूटी बजाते रहें। अचरज की बात यह है कि मामले की जांच करने वाले अधिकारियों को विभागीय अधिकारियों ने रिकार्ड देने में भी आनाकानी की। चोरी और सीनाजोरी का घटनाक्रम पुलिस अधिकारियों ने भी देखा। आखिरकार पुलिस अधीक्षक भूपेंद्र सिंह के दिशा-निर्देश पर पुलिस ने भ्रष्ट अधिकारियों को सबक सिखाने की दिशा में बड़ा कदम उठाया और बुधवार को आधा दर्जन अधिकारियों को गिरफ्तार कर सलाखों के पीछे पहुंचा ही दिया। ऐसी विभाग के अधिकारियों ने कभी उम्मीद नहीं की थी। जानकार बताते है कि जिला पुलिस की सर्जिकल स्ट्राइक का विभाग पर अब आने वाले वर्षों तक असर दिखाई देगा। खाद्य एवं आपूर्ति विभाग के कामकाज में बदलाव आएगा और आमजन को भी राहत मिल पाएगी।
एक दिन के पुलिस रिमांड पर सौंपे अधिकारी
सिरसा पुलिस ने धोखाधड़ी व गबन के मामले में बुधवार को हिरासत में लिए गए खाद्य एवं आपूर्ति विभाग के आधा दर्जन अधिकारियों को स्थानीय अदालत में पेश किया। पुलिस की ओर से आरोपियों का रिमांड मांगा गया। अदालत ने पुलिस के आग्रह को स्वीकार कर लिया और आरोपियों को एक दिन के रिमांड पर पुलिस को सौंप दिया। वर्णनीय है कि वर्ष 2017 में तत्कालीन जिला खाद्य एवं आपूर्ति नियंत्रक अशोक बांसल की ओर से शहर सिरसा थाना में मामला दर्ज करवाया गया था। जिसमें विभाग के 4 डीएफएससी, 2 एएफएसओ और 6 इंस्पेक्टर सहित 58 डिपू होल्डरों को आरोपी बनाया गया था। पुलिस ने सभी के खिलाफ मामला दर्ज किया था। बुधवार को पुलिस ने मामले में कार्रवाई करते हुए सहायक खाद्य एवं आपूर्ति अधिकारी नरेंद्र सरदाना, एएफएसओ जगतपाल, संजीव कुंडू, सेवानिवृत्त अशोक कुमार, कान्फेड के स्टोर कीपर रविंद्र कुमार व सेवानिवृत्त स्टोर कीपर महेंद्र मेहता को गिरफ्तार कर लिया। पुलिस ने सभी छह आरोपियों को आज स्थानीय कोर्ट में पेश किया। अब उन्हें कल शुक्रवार को फिर से कोर्ट में पेश करना होगा।
सीएम विंडों को चकमा!
विभागीय अधिकारियों द्वारा सीएम विंडों को भी चकमा दिया गया है। राशनकार्ड बनाने की एवज में उपभोक्ताओं से वसूली गई राशि का गबन करने बारे सीएम विंडो पर शिकायत दर्ज करवाई गई थी। बताया गया कि पीले, गुलाबी, हरे राशनकार्ड बनाने की एवज में विभाग ने उपभोक्ताओं से पैसा वसूला, जिसे अधिकारी डकार गए। राशनकार्ड बनाने की एवज में उपभोक्ताओं से 29 लाख 76 हजार 480 रूपये वसूले गए और सरकारी खजाने में 13 लाख 65 हजार 85 रुपये ही जमा करवाए। आरटीआई में यह जानकारी विभाग द्वारा ही दी गई। प्रेम जैन द्वारा इस बारे में सीएम विंडो दाखिल की गई। जिसे डीएफएससी सुरेंद्र सैनी ने यह टिप्पणी करके डिस्पॉस आफ कर दिया कि सिरसा केंद्र के अधिकारी द्वारा हरे कार्ड बनाने की फीस के रूप में वसूले चार लाख रुपये और ऐलनाबाद केंद्र के इंचार्ज द्वारा पहले ही जमा करवाए 80500 रुपये की रसीद परिमंडल कार्यालय में जमा करवा दी है। हकीकत यह है कि राशन कार्ड बनाने की एवज में वसूली गई पूरी राशि अभी तक सरकारी खजाने में जमा नहीं करवाई गई है। पुलिस द्वारा गिरफ्तार किए एएफएसओ पर ही अधिक राशि डकारने का आरोप है।
सूचना आयोग को धत्ता
खाद्य एवं आपूर्ति विभाग सिरसा ने राज्य सूचना आयोग हरियाणा के आदेशों को भी धत्ता बता दिया। भीम कालोनी निवासी प्रेम जैन की ओर से आरटीआई में 17 डिपूओं से संबंधित जानकारी मांगी थी। सूचना न मिलने परराज्य सूचना आयोग में अपील की गई थी। सूचना आयोग के समक्ष विभाग ने इन फाइलों के नदारद होने की बात कहीं। आयोग ने इस बारे में प्रेम जैन को नदारद हुए फाइलों की एफआईआर की प्रति उपलब्ध करवाने के निर्देश दिए। विभाग ने जिला पुलिस में 17 फाइलों बारे एफआईआर दर्ज करने का आग्रह किया, लेकिन पुलिस ने इन फाइलों के गुम होने अथवा चोरी होने बारे स्पष्टीकरण मांग लिया। विभाग ने आजतक न पुलिस को इस बारे स्पष्ट किया और न ही सूचना आयोग के फैसले पर अमल किया। प्रेम जैन के अनुसार विभागीय अधिकारियों ने जानबूझकर फाइलों को खुर्दबुर्द किया है। गुम होना बताने पर विभागीय अधिकारियों की जवाबदेही तय होगी और चोरी बताने पर पुलिस खोज निकालेगी। इसलिए विभागीय अधिकारी मौन साधे हुए है।
फर्जी फर्मों में सहयोग!
सिरसा में फर्जी फर्मों का कारोबार खूब फला-फूला। जिसमें कई बैंक शाखाओं का सहयोग रहा। इसी प्रकार फर्जी फर्म बनाए जाने में फर्जी राशनकार्डों का भी जमकर इस्तेमाल हुआ होगा! या यूं कहें की नींव ही फर्जी राशनकार्डों पर धरी गई। विभागीय अधिकारियों ने कुछ राशि की एवज में दूसरे राज्यों के रहने वालों के राशनकार्ड बना दिए। इन राशनकार्ड के आधार पर वोटरकार्ड बनें, ड्राइविंग लाईसेंस व अन्य दस्तावेज पूरे हुए। फर्जी फर्मों के मामले में अब तक हुए खुलासे में यह सामने भी आ चुका है कि दूसरे राज्यों के आए हुए मजदूरों के नाम से फर्में बनीं, जिन्होंने सरकारी खजाने से करोड़ों रुपये का रिफंड लिया। फर्जी फर्मों के सरगनाओं से भी विभागीय अधिकारियों के मधुर रिश्ते बताए जाते है।
'पीले' को बनाया 'गुलाबी'
पुलिस द्वारा गिरफ्तार किए गए खाद्य एवं आपूर्ति के अधिकारियों द्वारा पीले को गुलाबी करने का कारनामा भी अंजाम दिया गया है। यह मामला भी अभी तक लंबित है। दरअसल, गेहूं घोटाला करने के लिए विभागीय अधिकारियों ने पीले यानि बीपीएल कार्ड धारकों को गुलाबी यानि अन्त्योदय (एएवाई)बना डाला। विभाग की ओर से पीले राशनकार्ड धारक को प्रति सदस्य 5 किलो गेहूं दी जाती है, जबकि गुलाबी राशनकार्ड धारक को 35 किलो गेहूं। घोटाले को अंजाम देने के लिए हजारों बीपीएल परिवारों को एएवाई बना दिया। जबकि पीले कार्डधारकों को उनके परिवार के सदस्यों के अनुसार ही गेहूं वितरित की गई लेकिन रिकार्ड में एक परिवार को 35 किलो गेहूं जारी दर्शा दी। इस मामले में विभाग की ओर से कालांवाली में तथा सिरसा में तत्कालीन एएफएसओ नरेंद्र सरदाना और जगतपाल के खिलाफ मामला भी दर्ज करवाया गया। दोनों को विभाग ने निलंबित भी कर दिया। लेकिन पुलिस जांच पूरी होने तक उन्हें पुन: बहाल कर दिया गया। अब इस मामले के भी सिरे चढऩे की उम्मीद जगी है।
सिरसा पुलिस ने धोखाधड़ी व गबन के मामले में बुधवार को हिरासत में लिए गए खाद्य एवं आपूर्ति विभाग के आधा दर्जन अधिकारियों को स्थानीय अदालत में पेश किया। पुलिस की ओर से आरोपियों का रिमांड मांगा गया। अदालत ने पुलिस के आग्रह को स्वीकार कर लिया और आरोपियों को एक दिन के रिमांड पर पुलिस को सौंप दिया। वर्णनीय है कि वर्ष 2017 में तत्कालीन जिला खाद्य एवं आपूर्ति नियंत्रक अशोक बांसल की ओर से शहर सिरसा थाना में मामला दर्ज करवाया गया था। जिसमें विभाग के 4 डीएफएससी, 2 एएफएसओ और 6 इंस्पेक्टर सहित 58 डिपू होल्डरों को आरोपी बनाया गया था। पुलिस ने सभी के खिलाफ मामला दर्ज किया था। बुधवार को पुलिस ने मामले में कार्रवाई करते हुए सहायक खाद्य एवं आपूर्ति अधिकारी नरेंद्र सरदाना, एएफएसओ जगतपाल, संजीव कुंडू, सेवानिवृत्त अशोक कुमार, कान्फेड के स्टोर कीपर रविंद्र कुमार व सेवानिवृत्त स्टोर कीपर महेंद्र मेहता को गिरफ्तार कर लिया। पुलिस ने सभी छह आरोपियों को आज स्थानीय कोर्ट में पेश किया। अब उन्हें कल शुक्रवार को फिर से कोर्ट में पेश करना होगा।
सीएम विंडों को चकमा!
विभागीय अधिकारियों द्वारा सीएम विंडों को भी चकमा दिया गया है। राशनकार्ड बनाने की एवज में उपभोक्ताओं से वसूली गई राशि का गबन करने बारे सीएम विंडो पर शिकायत दर्ज करवाई गई थी। बताया गया कि पीले, गुलाबी, हरे राशनकार्ड बनाने की एवज में विभाग ने उपभोक्ताओं से पैसा वसूला, जिसे अधिकारी डकार गए। राशनकार्ड बनाने की एवज में उपभोक्ताओं से 29 लाख 76 हजार 480 रूपये वसूले गए और सरकारी खजाने में 13 लाख 65 हजार 85 रुपये ही जमा करवाए। आरटीआई में यह जानकारी विभाग द्वारा ही दी गई। प्रेम जैन द्वारा इस बारे में सीएम विंडो दाखिल की गई। जिसे डीएफएससी सुरेंद्र सैनी ने यह टिप्पणी करके डिस्पॉस आफ कर दिया कि सिरसा केंद्र के अधिकारी द्वारा हरे कार्ड बनाने की फीस के रूप में वसूले चार लाख रुपये और ऐलनाबाद केंद्र के इंचार्ज द्वारा पहले ही जमा करवाए 80500 रुपये की रसीद परिमंडल कार्यालय में जमा करवा दी है। हकीकत यह है कि राशन कार्ड बनाने की एवज में वसूली गई पूरी राशि अभी तक सरकारी खजाने में जमा नहीं करवाई गई है। पुलिस द्वारा गिरफ्तार किए एएफएसओ पर ही अधिक राशि डकारने का आरोप है।
सूचना आयोग को धत्ता
खाद्य एवं आपूर्ति विभाग सिरसा ने राज्य सूचना आयोग हरियाणा के आदेशों को भी धत्ता बता दिया। भीम कालोनी निवासी प्रेम जैन की ओर से आरटीआई में 17 डिपूओं से संबंधित जानकारी मांगी थी। सूचना न मिलने परराज्य सूचना आयोग में अपील की गई थी। सूचना आयोग के समक्ष विभाग ने इन फाइलों के नदारद होने की बात कहीं। आयोग ने इस बारे में प्रेम जैन को नदारद हुए फाइलों की एफआईआर की प्रति उपलब्ध करवाने के निर्देश दिए। विभाग ने जिला पुलिस में 17 फाइलों बारे एफआईआर दर्ज करने का आग्रह किया, लेकिन पुलिस ने इन फाइलों के गुम होने अथवा चोरी होने बारे स्पष्टीकरण मांग लिया। विभाग ने आजतक न पुलिस को इस बारे स्पष्ट किया और न ही सूचना आयोग के फैसले पर अमल किया। प्रेम जैन के अनुसार विभागीय अधिकारियों ने जानबूझकर फाइलों को खुर्दबुर्द किया है। गुम होना बताने पर विभागीय अधिकारियों की जवाबदेही तय होगी और चोरी बताने पर पुलिस खोज निकालेगी। इसलिए विभागीय अधिकारी मौन साधे हुए है।
फर्जी फर्मों में सहयोग!
सिरसा में फर्जी फर्मों का कारोबार खूब फला-फूला। जिसमें कई बैंक शाखाओं का सहयोग रहा। इसी प्रकार फर्जी फर्म बनाए जाने में फर्जी राशनकार्डों का भी जमकर इस्तेमाल हुआ होगा! या यूं कहें की नींव ही फर्जी राशनकार्डों पर धरी गई। विभागीय अधिकारियों ने कुछ राशि की एवज में दूसरे राज्यों के रहने वालों के राशनकार्ड बना दिए। इन राशनकार्ड के आधार पर वोटरकार्ड बनें, ड्राइविंग लाईसेंस व अन्य दस्तावेज पूरे हुए। फर्जी फर्मों के मामले में अब तक हुए खुलासे में यह सामने भी आ चुका है कि दूसरे राज्यों के आए हुए मजदूरों के नाम से फर्में बनीं, जिन्होंने सरकारी खजाने से करोड़ों रुपये का रिफंड लिया। फर्जी फर्मों के सरगनाओं से भी विभागीय अधिकारियों के मधुर रिश्ते बताए जाते है।
'पीले' को बनाया 'गुलाबी'
पुलिस द्वारा गिरफ्तार किए गए खाद्य एवं आपूर्ति के अधिकारियों द्वारा पीले को गुलाबी करने का कारनामा भी अंजाम दिया गया है। यह मामला भी अभी तक लंबित है। दरअसल, गेहूं घोटाला करने के लिए विभागीय अधिकारियों ने पीले यानि बीपीएल कार्ड धारकों को गुलाबी यानि अन्त्योदय (एएवाई)बना डाला। विभाग की ओर से पीले राशनकार्ड धारक को प्रति सदस्य 5 किलो गेहूं दी जाती है, जबकि गुलाबी राशनकार्ड धारक को 35 किलो गेहूं। घोटाले को अंजाम देने के लिए हजारों बीपीएल परिवारों को एएवाई बना दिया। जबकि पीले कार्डधारकों को उनके परिवार के सदस्यों के अनुसार ही गेहूं वितरित की गई लेकिन रिकार्ड में एक परिवार को 35 किलो गेहूं जारी दर्शा दी। इस मामले में विभाग की ओर से कालांवाली में तथा सिरसा में तत्कालीन एएफएसओ नरेंद्र सरदाना और जगतपाल के खिलाफ मामला भी दर्ज करवाया गया। दोनों को विभाग ने निलंबित भी कर दिया। लेकिन पुलिस जांच पूरी होने तक उन्हें पुन: बहाल कर दिया गया। अब इस मामले के भी सिरे चढऩे की उम्मीद जगी है।
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