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समय पर सोना, खाने की आदतें और नियमित खेलना बचाता है बच्चों को मोटापे से

छोटी उम्र से ही नियमित दिनचर्या का पालन करने के बहुत से फायदे हैं। एक नए शोध में सामने आया है कि नियमित रूप से समय पर सोने, खाना समय पर खाने और एक निश्चित समय पर मनोरंजन हो जाने से प्री-स्कूली बच्चों का स्वास्थ्य बेहतर होता है। उनमें मोटापे की संभावना भी कम रहती है।

अमेरिका के ओहियो स्टेट विश्वविद्यालय की प्रमुख लेखक सारा एंडरसन ने कहा कि इस शोध से ज्यादा साक्ष्य मिलते हैं कि प्री-स्कूली आयु वाले बच्चों में दिनचर्या उनके बेहतर स्वास्थ्य विकास से जुड़ी होती है। यह इन बच्चों के मोटापाग्रस्त होने की संभावना को भी कम करती है। शोधकर्ताओं के अनुसार तीन साल की आयु वाले 3000 बच्चों की दिनचर्या का मूल्यांकन करने पर पाया कि उनके समय से सोने जाने, समय से खाने और उनके समय से टीवी या फिल्म देखने का सीधा असर उनके स्वास्थ्य पर पड़ता है। इसकी अवहेलना करने वाले अधिकतर बच्चे मोटापे के ज्यादा शिकार होते हैं।

बचपन का मोटापा अब भारत में एक प्रमुख चिंता का विषय है। आधुनिक समय में बच्चों में यह अधिक आम है। इससे कई लोग मोटे हो जाते हैं। बता दें कि वे कई स्वास्थ्य समस्याओं से ग्रसित हैं और वजन घटाने के लिए अस्पतालों में घूम रहे हैं। हैदराबाद स्थित कामिनेनी अस्पताल की वरिष्ठ बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. कंचन एस चन्नावर का कहना है कि अध्ययनों से साबित हुआ है कि भारत में मोटे बच्चों की संख्या 14.4 मिलियन है जो चीन के बाद दुनिया में मोटापे से ग्रस्त बच्चों की दूसरी सबसे बड़ी संख्या है। उच्च आय वाले परिवारों में इसका प्रसार 35-40 प्रतिशत तक बढ़ गया है, जोकि चिंताजनक रूप से ऊपर की ओर संकेत करता है।

बचपन में मोटापे के कारणों में मुख्य रूप से अनुवांशिक, मनोवैज्ञानिक, हार्मोनल परिवर्तन, हाई कैलोरी डाइट तथा व्यायाम की कमी को माना जाता है परंतु विभिन्न शोध कर्ताओं के अनुसार वर्तमान में मुख्य कारण है समय पर न सोना तथा ग्रीन स्क्रीन का अधीर प्रभाव माना गया है।

बचपन के मोटापे के गंभीर स्वास्थ्य प्रभाव होते हैं। मोटे बच्चों को विभिन्न प्रकार की बीमारियों जैसे उच्च रक्तचाप, पुराने ऑस्टियोआर्थराइटिस, उच्च कोलेस्ट्रॉल और ट्राइग्लिसराइड्स, और कई गंभीर और पुरानी बीमारियों जैसे टाइप 2 मधुमेह, कोरोनरी हृदय रोग, स्ट्रोक, पित्ताशय की थैली की बीमारी, श्वसन समस्याओं और कुछ कैंसर का खतरा बढ़ जाता है।

डब्ल्यूएचओ की विभिन्न रिपोर्टों के अनुसार, बचपन का मोटापा 21वीं सदी की सबसे गंभीर सार्वजनिक स्वास्थ्य चुनौतियों में से एक के रूप में उभरा है। विशेष रूप से आज की दुनिया में बचपन के मोटापे की रोकथाम आसान नहीं है क्योंकि हम जानते हैं कि मोटापे का ऐसा कोई इलाज नहीं है केवल एक स्वस्थ जीवन शैली और सरल रणनीतियाँ लोगों को मोटापे को रोकने में मदद करती हैं।

इसके लिए घर पर अच्छी खाने की आदतों को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए, कोशिश करें कि बच्चों को जंक फूड न खिलाएं और न ही बाहर से खाने दें, तले हुए खाद्य पदार्थों के अलावा, नाश्ते के लिए स्वस्थ खाद्य पदार्थ जैसे ताजे फलों का सलाद, नट्स और दही को आहार में शामिल करें। बच्चों को खिलाने वाले व्यक्ति को उनके सामने किसी भी भोजन के प्रति अनिच्छा नहीं दिखानी चाहिए। यदि व्यक्ति स्वस्थ भोजन का आनंद नहीं लेता है, तो बच्चे के भोजन को अस्वीकार करने की संभावना अधिक होती है।
माताएं अक्सर अपने बच्चों को अधिक खाने के लिए प्रोत्साहित करती हैं। लेकिन यह अधिक वजन का कारण बन सकता है। बच्चों का खाना खाते समय टीवी और मोबाइल को घूरना आम बात हो गई है। यह बहुत ही अस्वस्थ तरीका है। स्क्रीन को देखकर बच्चा विचलित हो जाता है। इसलिए जरूरत से कम या ज्यादा खाना संभव है। इसलिए बच्चों को भोजन करते समय पारिवारिक माहौल का आनंद लेने की व्यवस्था करनी चाहिए। आजकल बच्चे स्क्रीन से चिपके रहते हैं। इसलिए बच्चे को प्रतिदिन खेलकूद या व्यायाम करने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए। ऐसा करने से आपको जितनी जरूरत हो उतनी नींद लेने में भी मदद मिलेगी।

आचार्य रमेश सचदेवा
मोटिवएशनल स्पीकर एवं पेरेंटिंग कोच
डायरेक्टर, ऐजू स्टेप फाउंडेशन

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