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गुरु नानक कॉलेज में वेबीनार:- कोविड-19 के कारण लगे आर्थिक झटके पर परिचर्चा


डबवाली न्यूज़ डेस्क गुरु नानक कॉलेज किलियांवाली में आज के दिन कालेज प्रधानाचार्य डॉ. सुरिन्दर सिंह ठाकुर के कुशल दिशा - निर्देशन में कालेज आई . क्यू.ए .सी . के सहयोग से दो राष्ट्रीय वेबीनार आयोजित करवाए गए -सुबह अर्थशास्त्र विभाग द्वारा एवं दोपहर को इतिहास विभाग द्वारा।अर्थशास्त्र विभाग द्वारा आयोजित राष्ट्रीय वेबीनार का विषय वस्तु था- *कोविड-19 के कारण लगे आर्थिक झटके पर परिचर्चा* । इस वेबीनार में पंजाब यूनिवर्सिटी चंडीगढ़ के कॉलेज डेवलपमेंट काउंसिल डीन प्रो . संजय कौशिक ने मुख्य अतिथि के तौर पर शिरकत की । गूगल मीट पर चले इस वेबीनार के कुंजीवत्त वक्ता थे स्वामी प्रेमानंद महाविद्यालय मुकेरियां के एसोसिएट प्रोफेसर श्री विक्रम सिंह। रिसोर्स पर्सन के तौर पर इस में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई पंजाब यूनिवर्सिटी रीजनल सेंटर लुधियाना के विश्वविद्यालय कानून संस्थान में अर्थशास्त्र की असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ . पूजा सिक्का ने कार्यक्रम के आरंभ में कॉलेज प्रिंसिपल डॉ. सुरिन्दर सिंह ठाकुर ने सभी उपस्थित मेहमानों का स्वागत किया। उन्होंने वर्तमान संदर्भ में कोविड महामारी के कारण देश और दुनिया में पैदा हुए आर्थिक संकट, लोगों को इसके कारण हुई दुश्वारियों एवं सरकार द्वारा इस विकट स्थिति से निपटने के लिए किए जा रहे प्रयासों की चर्चा की । तत्पश्चात अर्थशास्त्र विभागाध्यक्षा एवं वेबीनार संयोजक मैडम मनप्रीत कौर ने सभी के सामने मेहमानों का परिचय प्रस्तुत किया एवं आज के वेबीनार के टॉपिक के बारे में संक्षिप्त रोशनी डाली ।



वेबीनार का आरंभ करते हुए कुंजीवत वक्ता श्री विक्रम सिंह ने आंकड़ों के आधार पर अपनी प्रस्तुति देते हुए दिसंबर 2019 में वुहान से आरंभ हुई इस महामारी के अलग-अलग पड़ावों की चर्चा करते हुए पहले मार्च 2020 में इसके वैश्विक महामारी घोषित किए जाने और आज तक इसके पड़े आर्थिक दुष्प्रभावों की व्याख्या की। उन्होंने बताया कि अर्थशास्त्रियों के अनुसार यह 1929 -30 की वैश्विक मंदी के बाद की सबसे भयावह स्तिथि है।भारतीय अर्थव्यवस्था पर केंद्रित करते हुए उन्होंने बताया कि विश्व बैंक इसके 3.2% सिकुड़ जाने की भविष्यवाणी कर रहा है। 90 के दशक में जो एलपीजी का रास्ता अख्तियार करने के बाद हमने पिछले तीन दशकों में प्राप्तिया की थीं, वे सब इस महामारी के काल में दांव पर लग गई है । हम 2024 तक 5 ट्रिलियन डॉलर वाली अर्थव्यवस्था बनने का जो स्वपन देख रहे थे, वह बढ़ती निर्धनता, बेरोज़गारी, असमानता आदि के कारण धूमिल होता नजर आ रहा है ।यदि स्थिति जल्दी ना सुधरी तो हमें इसके दीर्घकालीन प्रभाव भी झेलने होंगे ।भारत की सरकार ने अर्थव्यवस्था की बजाए मानवीय जीवन को प्राथमिकता दी प्रधानमंत्री ने गरीब कल्याण योजना, आत्मनिर्भर भारत योजना आदि के जरिए डूबती अर्थव्यवस्था में जान फूंकने की कोशिश की है परंतु जनता को भी जापान और दक्षिणी कोरिया से सबक लेते हुए अपने व्यवहार को उत्तरदायी और सरकार के सहयोगी के रूप में निभाना होगा और सबसे ऊपर मानवीय मूल्यों को अहमीयत देनी होगी तत्पश्चात रिसोर्स पर्सन डॉ पूजा सिक्का नेअपनी पीपीटी प्रस्तुति के जरिए इस महामारी के आर्थिक और स्वास्थ्य के मोर्चे पर लगे झटकों की विस्तृत चर्चा की और इसके कारण वैश्विक अर्थव्यवस्था में आई गिरावट और लोगों में फैले भय पर प्रकाश डाला।उन्होंने बताया कि जहां सारी दुनिया की जीडीपी एकदम काफी गिर गई वहीं भारत की अर्थव्यवस्था पर भी इसके घातक प्रभाव सामने आ रहे हैं।विश्व के अर्थशास्त्रियों ने वैश्विक अर्थव्यवस्था की यू - शेप, वी -शेप और डब्लयू -शेप रिकवरी की बात की है, हमें सबसे पहले अपनी अर्थव्यवस्था में लोगों के विश्वास को कायम रखना होगा जिसके लिए उनकी बुनियादी जरूरतों की गारंटी सर्वाधिक आवश्यक है । दोपहर को शुरू हुए इतिहास विभाग के दूसरे वेबीनार में मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित थे पंजाब विश्वविद्यालय के कानून विभाग के प्रो. दविन्द्र सिंह, कुंजी वत्त वक्ता विश्वविद्यालय के इतिहास विभाग के एसोसिएट प्रो . डॉ. प्रियतोष शर्मा । रिसोर्स पर्सन की भूमिका निभाई एस पी एन कालेज से इतिहास विभाग की डॉ. अनुराधा ने । कार्यक्रम का आरंभ करते हुए वेबीनार संयोजक इतिहास विभागाध्यक्ष प्रो. प्रवीण कुमार ने आज के वेबीनार की टॉपिक पर संक्षिप्त रोशनी डाली। कालेज प्रिंसीपल डॉ. सुरिन्दर सिंह ठाकुर ने वर्चुअल मंच पर उपस्थित सभी अतिथियों का स्वागत किया । डॉ . ठाकुर ने पंजाब को गुरुओं की धरती बताया । उन्होने बाबा नानक के जीवन वृतांत पर संक्षिप्त रोशनी डालते हुए कहा कि उनकी अमर वाणी आज भी हमें प्रेरित करती है।


मुख्य अतिथि प्रोफेसर देवेंद्र सिंह ने गुरुओं पीरों की इस पावन धरती पर जन्म लेना ही हम सबकी अपनी खुशकिस्मती माना ।उनके अनुसार गुरु नानक देव जी की शिक्षाएं आज भी उतनी ही सार्थक हैं जितनी उनके समय में थी,सो हमें अपने जीवन को गुरुओं की शिक्षाओं के अनुसार जीना चाहिए ।
कुंजीवत वक्ता डॉ प्रियतोष शर्मा ने अपने व्याख्यान में बाबा नानक को केवल पंजाब क्षेत्र की या भारत देश की ही नहीं बल्कि अंतरराष्ट्रीय शख्सियत माना ।उनके मतानुसार विश्व संस्कृति की धरोहरों को हम अपने हिसाब से बांटकर सही तरीके से नहीं समझ सकते । मोईसिन फानी, महीपत आदि को इंगित करते हुए उन्होंने बाबा नानक की साखियों व शिक्षाओं, समाज में फैली हुई बुराइयों को दूर करने के लिए किए गए उनके प्रयासों, स्त्रियों के सशक्तिकरण के लिए उनके उठाए कदमों आदि पर विस्तृत चर्चा की जिसके कारण बाबा नानक पिछले लगभग 550 वर्षों से एक वैश्विक प्रकाश - स्तंभ के रूप में आज भी हमारे समक्ष हैं ।
रिसोर्स पर्सन डॉ अनुराधा ने बाबा नानक की शिक्षाओं और आदि बुद्ध धर्म की शिक्षाओं में समानताओं पर विस्तारपूर्वक रोशनी डाली ।दोनों पंथ लोगों को लोक भाषाओं में शिक्षाएं देने, उनके लिए एक निश्चित आचार - संहिता निर्धारित करने, अपने -अपने समय की सामाजिक बुराइयों को दूर करने, स्त्री -पुरुष समानता, भेदभाव और जाति प्रथा का विरोध, पाली और पंजाबी भाषा के विकास करने के लिए जाने जाते हैं । बाबा नानक ने परवर्ती बौद्धमत के महायान व जादुई तत्व को बहुत पीछे छोड़ते हुए विशुद्ध और समर्पित भक्तिवादी सोच के साथ नए पंथ की शुरुआत की। उनकी यही बात उन्हें आज भी हम सबके लिए पूजनीय बनाती है ।वैबीनार के अंत में डॉ प्रियतोष शर्मा ने प्रतिभागियों द्वारा पूछे गए प्रश्नों का भी बड़ी संजीदगी से जवाब दिया । तत्पश्चात कालेज आई.क्यू.ए.सी. कार्डिनेटर डॉ. भारत भूषण ने श्री गुरु तेग बहादुर जी के 400 वर्षीय प्रकाश पर्व के उपलक्ष्य में शुरू किए गए कॉलेज के इन वेबीनारों की श्रृंखला के बारे में चर्चा करते हुए आज के वेबीनारों में उपस्थित हुए सभी अतिथियों व प्रतिभागियों का तहेदिल से धन्यवाद किया। इन कार्यक्रमों को सफलतापूर्वक आयोजित करने के लिए आयोजन समिति ने तकनीकी सहयोग के लिए टैक्निकल टीम सदस्यों का विशेष तौर पर धन्यवाद किया। अर्थशास्त्र और इतिहास के इन राष्ट्रीय वेबीनारों में क्रमशः 699 व 238 प्रतिभागियों ने गूगल मीट व फेसबुक लाईव के जरिए हिस्सा लिया।

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