health
[health][bsummary]
sports
[sports][bigposts]
entertainment
[entertainment][twocolumns]
Comments
गलियों के टेंडर में बंदरबांट के आरोप का मामला गृहमंत्री अनिल विज के दरबार पहुंचें ठेेकेदार
Dabwalinews.com
सिरसा। सिरसा नगर परिषद में चल रहे कथित धांधली के खेल से संभवत: पर्दा उठ पाएगा, चूंकि मामला अब गृहमंत्री अनिल विज के दरबार में पहुंच गया है।गलियों के निर्माण में धांधली का आरोप लगाकर वीरवार को नगर परिषद कार्यालय में धरना देने वाले ठेकेदार शुक्रवार को अंबाला पहुंचें और प्रदेश के गृहमंत्री अनिल विज से मिलें। ठेकेदारों ने पूरे मामले से उन्हें अवगत करवाया। ठेकेदार राजेंद्रपाल जिंदल ने बताया कि उनके साथ ठेकेदार कुलदीप भांभू, दीपक कुमार, सुनील भांभू, अमित मेहता, कृष्ण मेहता व अन्य ठेकेदार थे। उन्होंने बताया कि सिरसा नगर परिषद में किस प्रकार धांधली का खेल खेला जा रहा है। अधिकारी अपनी जेब भरने के लिए तमाम नियम कायदों को ताक पर धर दिए है। चहेते ठेकेदारों को ही टेंडर अलॉट किए गए है। ठेकेदारों ने गृहमंत्री के समक्ष ईओ के तबादले का भी मामला रखा और बताया कि किस प्रकार ठेकेदारों द्वारा पैसा एकत्रित करके सिरसा से तब्दील हुए ईओ को पुन: सिरसा में स्थानांतरित करवाया गया है। बताया कि घूसखोरी का खेल न केवल सिरसा में व्याप्त है, बल्कि घूसखोर अधिकारियों की पूरी चेन बनी हुई है। यही वजह है कि जिस अधिकारी का चंद दिनों पहले तबादला हुुआ हो, उसे फिर से नियुक्त कर दिया जाता है। जबकि जिस अधिकारी को सिरसा में नियुक्ति मिलीं थी, उसे लॉबिंग करके इसलिए हटवा दिया क्योंकि वह ईमानदार था।गृहमंत्री अनिल विज ने पूरे मामले को गंभीरता से सुनने के बाद मातहत अधिकारियों को आवश्यक दिशा-निर्देश जारी किए है। उनके आदेश का क्या प्रभाव पड़ता है, यह देखने वाली बात है?
नहीं टूटता कमीशनखोरी का जोड़!
नगर परिषद सिरसा में नियुक्ति के लिए जोड़तोड़ बैठाई जाती है। घूस देकर सिरसा में ट्रंासफर करवाने की कोशिश की जाती है। चूंकि सिरसा में कमीशनखोरी की गंगा बहती है। सूत्र बताते है कि नगर परिषद कार्यालय में नीचे से लेकर ऊपर तक हरेक का कमीशन बंधा हुआ है। तय कमीशन अपने आप पहुंच जाता है। किसी को भी कमीशन का तकाजा नहीं करना पड़ता। अपवाद तब पैदा होता है, जब कोई अधिकारी निर्धारित से अधिक कमीशन की मांग कर बैठता है। अन्यथा सबकुछ सामान्य प्रतीत होता है। सूत्र बताते है कि टेंडर फार्म से ही घूसखोरी का दौर शुरू होता है और फिर पग-पग पर कमीशन बंटता है। निर्माण कार्य की सैंपलिंग हो या मानिटरिंग। ऑडिट हो या अन्य मामला। हर चरण कमीशन से पार किया जाता है। घटिया व निम्र निर्माण सामग्री की शिकायतों का भी कमीशन की वजह से ही दफन कर दिया जाता है। बड़े राज की बात नगर परिषद में आम है।
अधिकारियों की चुप्पी में बड़ा राज!
विकास कार्यों को लेकर ही नगर परिषद में राजनीति होती आई है। विकास कार्य न होने की वजह को आधार बनाकर नगर पार्षदों ने प्रधान के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पारित किया था। विकास को हर कोई गति देना चाहता है। अब विकास कार्यों के लिए टेंडर प्रक्रिया अपनाई गई, तब घालमेल की शिकायतें सामने आने लगी। अचरज की बात यह है कि जब प्रशासनिक अधिकारियों तक शिकायतें आई, तो उन्हें अनदेखा क्यों किया गया? जांच करवाई जानी चाहिए। झूठी शिकायत पाए जाने पर आरोपों को खारिज किया जाना चाहिए था। लेकिन अनेक मामलों में तथ्य सामने आने के बाद भी प्रशासनिक चुप्पी रहस्य पैदा करती है? जीएसटी के 63 करोड़ का फ्राड जगजाहिर हो चुका है लेकिन प्रशासनिक अधिकारियों ने क्या किया? ठेकेदारों की शिकायत के बाद ऐसा प्रतीत होता है कि अधिकारियों की चुप्पी का कोई न कोई तो राज है?
होर्डिंग्स ठेकेदार की शिकायत लटकी!
नगर परिषद को होर्डिंग्स की एवज में एक निर्धारित आय प्राप्त होती है। टेंडर की शर्तों के अनुसार ठेकेदार द्वारा जितने एरिया पर विज्ञापन लगाएगा, उस एरिया के अनुसार ही उसे भुगतान करना होगा। मगर, सिरसा में ठेकेदार ने 200 फुट की जगह की अदायगी करके 400-400 फुट विज्ञापन एरिया बेच डाला। कीर्तीनगर निवासी राकेश ढल्ला द्वारा सीएम विंडो और उपायुक्त कार्यालय, नगरायुक्त संगीता तेतरवाल के समक्ष की गई शिकायतों पर आजतक कोई कार्रवाई नहीं हुई। टेंडर में शर्त रखी की सीसी डस्टबिन को विज्ञापन पट्ट से ढका जाए, ठेकेदार ने डस्टबिन से ऊपर होर्डिंग्स लगाकर कमाई जुटानी शुरू कर दी। शर्त रखी की गैंटरी बोर्ड लगे ताकि लोगों को दूसरे शहरों की दिशा का बोध हो सकें, लेकिन ठेकेदार ने बोर्ड के दोनों ओर ही विज्ञापन पट्ट लगा दिए। दिशा सूचक का कहीं अता-पता नहीं। बड़ा सवाल यह है कि आखिर नगर परिषद से जुड़ी शिकायतों का निपटाना क्यों नहीं किया जाता? क्यों अधिकारी उन शिकायतों पर संज्ञान लेते?
नहीं टूटता कमीशनखोरी का जोड़!
नगर परिषद सिरसा में नियुक्ति के लिए जोड़तोड़ बैठाई जाती है। घूस देकर सिरसा में ट्रंासफर करवाने की कोशिश की जाती है। चूंकि सिरसा में कमीशनखोरी की गंगा बहती है। सूत्र बताते है कि नगर परिषद कार्यालय में नीचे से लेकर ऊपर तक हरेक का कमीशन बंधा हुआ है। तय कमीशन अपने आप पहुंच जाता है। किसी को भी कमीशन का तकाजा नहीं करना पड़ता। अपवाद तब पैदा होता है, जब कोई अधिकारी निर्धारित से अधिक कमीशन की मांग कर बैठता है। अन्यथा सबकुछ सामान्य प्रतीत होता है। सूत्र बताते है कि टेंडर फार्म से ही घूसखोरी का दौर शुरू होता है और फिर पग-पग पर कमीशन बंटता है। निर्माण कार्य की सैंपलिंग हो या मानिटरिंग। ऑडिट हो या अन्य मामला। हर चरण कमीशन से पार किया जाता है। घटिया व निम्र निर्माण सामग्री की शिकायतों का भी कमीशन की वजह से ही दफन कर दिया जाता है। बड़े राज की बात नगर परिषद में आम है।
अधिकारियों की चुप्पी में बड़ा राज!
विकास कार्यों को लेकर ही नगर परिषद में राजनीति होती आई है। विकास कार्य न होने की वजह को आधार बनाकर नगर पार्षदों ने प्रधान के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पारित किया था। विकास को हर कोई गति देना चाहता है। अब विकास कार्यों के लिए टेंडर प्रक्रिया अपनाई गई, तब घालमेल की शिकायतें सामने आने लगी। अचरज की बात यह है कि जब प्रशासनिक अधिकारियों तक शिकायतें आई, तो उन्हें अनदेखा क्यों किया गया? जांच करवाई जानी चाहिए। झूठी शिकायत पाए जाने पर आरोपों को खारिज किया जाना चाहिए था। लेकिन अनेक मामलों में तथ्य सामने आने के बाद भी प्रशासनिक चुप्पी रहस्य पैदा करती है? जीएसटी के 63 करोड़ का फ्राड जगजाहिर हो चुका है लेकिन प्रशासनिक अधिकारियों ने क्या किया? ठेकेदारों की शिकायत के बाद ऐसा प्रतीत होता है कि अधिकारियों की चुप्पी का कोई न कोई तो राज है?
होर्डिंग्स ठेकेदार की शिकायत लटकी!
नगर परिषद को होर्डिंग्स की एवज में एक निर्धारित आय प्राप्त होती है। टेंडर की शर्तों के अनुसार ठेकेदार द्वारा जितने एरिया पर विज्ञापन लगाएगा, उस एरिया के अनुसार ही उसे भुगतान करना होगा। मगर, सिरसा में ठेकेदार ने 200 फुट की जगह की अदायगी करके 400-400 फुट विज्ञापन एरिया बेच डाला। कीर्तीनगर निवासी राकेश ढल्ला द्वारा सीएम विंडो और उपायुक्त कार्यालय, नगरायुक्त संगीता तेतरवाल के समक्ष की गई शिकायतों पर आजतक कोई कार्रवाई नहीं हुई। टेंडर में शर्त रखी की सीसी डस्टबिन को विज्ञापन पट्ट से ढका जाए, ठेकेदार ने डस्टबिन से ऊपर होर्डिंग्स लगाकर कमाई जुटानी शुरू कर दी। शर्त रखी की गैंटरी बोर्ड लगे ताकि लोगों को दूसरे शहरों की दिशा का बोध हो सकें, लेकिन ठेकेदार ने बोर्ड के दोनों ओर ही विज्ञापन पट्ट लगा दिए। दिशा सूचक का कहीं अता-पता नहीं। बड़ा सवाल यह है कि आखिर नगर परिषद से जुड़ी शिकायतों का निपटाना क्यों नहीं किया जाता? क्यों अधिकारी उन शिकायतों पर संज्ञान लेते?
Related Posts
गलियों के टेंडर में बंदरबांट के आरोप का मामला गृहमंत्री अनिल विज के दरबार पहुंचें ठेेकेदार
Reviewed by DabwaliNews
on
5:57:00 AM
Rating: 5
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
IMPORTANT-------ATTENTION -- PLEASE
क्या डबवाली में BJP की इस गलती को नजर अंदाज किया जा सकता है,आखिर प्रशासन ने क्यों नहीं की कार्रवाई
fv
Translate
Subscribe Us
social links
[socialcounter]
[facebook][https://www.facebook.com/dabwalinews/][4.2k]
[twitter][https://twitter.com/dabwalinews][1.2k]
[youtube][https://www.youtube.com/c/dabwalinews][23k]
[linkedin][#][230]
Wikipedia
Search results
sponsored
Gurasees Homeopathic Clinic
Popular Posts
-
BREAKING NEWS #dabwalinews.com हरियाणा के डबवाली में एक मसाज सेंटर पर पुलिस छापे का सनसनीखेज खुलासा हुआ है.पुलिस ने देर रात म...
-
कुमार मुकेश, भारत में छिपकलियों की कोई भी प्रजाति जहरीली नहीं है, लेकिन उनकी त्वचा में जहर जरूर होता है। यही कारण है कि छिपकलियों के काटन...
-
दुल्हन के तेवर देख दुल्हे वालों ने बुलाई पुलिस चंडीगढ़ में रहने वाली लडक़ी की डबवाली के युवक से हुआ था विवाह #dabwalinews.com Exclusiv...
-
DabwaliNews.com दोस्तों जैसे सभी को पता है के कैसे डबवाली उपमंडल के कुछ ग्रामीण इलाकों में बल काटने वाले गिरोह की दहशत से लोगो में अ...
-
dabwalinews.com डबवाली। डबवाली में गांव जंडवाला बिश्नोई के नजदीक एक ढाणी में पंजाब व हरियाणा पुलिस की 3 गैंगस्टर के बीच मुठभेड़ हो गई। इसम...
-
#dabwalinews.com पंजाब के सीएम प्रकाश सिंह बादल पर बुधवार को एक युवक द्वारा उनके ही विधानसभा क्षेत्र में चुनाव प्रचार के दौरान जू...
-
BREAKING NEWS लॉकडाउन 4. 0 डबवाली में कोरोना ने दी दस्तक डबवाली के प्रेम नगर व रवि दास नगर में पंजाब से अपने रिश्तेदार के घर मिलने आई म...
No comments:
Post a Comment