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बहानेबाजी की फैक्ट्री बनीं नगर परिषद! सड़क निर्माण के लिए तहसीलदार से मांगा गया मलकीयत का सबूत

Dabwalinews.com
सिरसा। नगर परिषद सिरसा की कारगुजारियां किसी से छिपी नहीं है।यहां पर काम लटकाने के लिए नियमों को ताक पर धरा जाता है और बहाने घढ़े जाते है। संभवत: जिस कार्य में अधिकारियों को सुविधा शुल्क हासिल होने की आस होती है, वहां पर बिना टेंडर ही कार्य शुरू कर दिया जाता है और जिस काम में ऐसा न दिखता हों, उसे लटकाने के लिए बहानेबाजी शुरू कर दी जाती है! ऐसा ही मामला अनाज मंडी रोड का है। शिव चौक से राजकीय मॉडल संस्कृति स्कूल तक सड़क का एक टुकड़ा कई वर्षों से खस्ता हाल है। सड़क जगह-जगह से टूट चुकी है और रोड डिवाइडर के बीच लगी ग्रिल भी टूट चुकी है। इस मार्ग से भारी वाहनों का आवागमन होता है। भादरा गेट से किसान सूरतगढिय़ा बाजार से होते हुए मंडी में प्रवेश करते है। रानियां रोड से आने वाले लोडिड ट्रेक्टर-ट्रालियां भी शिव चौक से अनाज मंडी में पहुंचते है। लेकिन टूटी सड़क के कारण हर समय इन वाहनों के पलटकर दुर्घटनाग्रस्त होने का भय बना रहता है। नगर परिषद को स्व: विवेक से इसका निर्माण अथवा मरम्मत करनी चाहिए थी लेकिन नगर परिषद के अधिकारियों ने तो इसकी मरम्मत न करने के लिए दर्जनों बहाने ही घढ़ दिए। सड़क का निर्माण न करने के लिए नगर परिषद के अभियंता (एमई) की ओर से तो तहसीलदार सिरसा को पत्र लिखकर इसकी मलकीयत का सबूत मांगा गया है। एमई द्वारा लिखे गए पत्र से स्पष्ट है कि जनसमस्या को लटकाने के लिए कितने गंभीर प्रयास किए गए है? जबकि समस्या सर्वविदित है। 

सीएम विंडों को किया भोथरा

इंद्रपुरी मोहल्ला निवासी प्रमुख गौसेवक प्रेम कुमार कंदोई ने आमजन की इस समस्या के समाधान के लिए सीएम विंडो का सहारा लिया ताकि टूटी सड़क के कारण कोई हादसे का शिकार न हों। लेकिन नगर परिषद के अधिकारियों ने समस्या के समाधान की बजाए बहानेबाजी शुरू कर दी। सीएम विंडो की शिकायतों का कई प्रकार के बहाने बनाकर निष्पादन कर दिया। प्रेम कंदोई ने बार-बार सीएम विंडो पर शिकायत दर्ज करवाकर समस्या के समाधान का आग्रह किया और हर बार नया बहाना बनाकर शिकायत दफ्तर दाखिल कर दी गई।

प्रेम कंदोई ने बताया कि शिव चौक से मॉडल संस्कृति स्कूल सड़क का टुकड़ा पूरी तरह से टूट चुका है। स्कूल में लगभग 4 हजार बच्चों का आना-जाना होता है। इसके अलावा इसी मार्ग से जीआरजी स्कूल तथा सीएमके कालेज की छात्राओं का आना-जाना होता है। रोजाना बच्चों की स्कूटी, साइकिल और ऑटो रिक्शा इन गड्ढों की वजह से गिरते-पलटते है। सीजन के दौरान अनाज से भरी ट्रालियां भी क्षतिग्रस्त होती है। वाहनों की भी टूट-फूट होती है। लेकिन नगर परिषद सड़क का निर्माण करने की बजाए बहानेबाजी पर उतर आई है।

17 महीनों से बहानेबाजी जारी

समाजसेवी प्रेम कंदोई द्वारा 22 जुलाई 2019 को सीएम विंडो दाखिल की गई और सड़क के इस टूटे टुकड़े की मरम्मत का आग्रह किया। नगर परिषद के अधिकारियों ने इसे डिमांड की श्रेणी में बताते हुए डिस्पोज ऑफ कर दिया। फिर से शिकायत करने पर विधानसभा चुनाव की बात कहकर टाल दिया गया। फिर से आग्रह करने पर कोविड-19 की बात कहीं और फाइल दबा दी। फिर से आग्रह करने पर टेंडर आमंत्रित करने की बात कहीं और फिर टेंडर रद्द कर दिया। फिर सीएम विंडो दाखिल करने पर तहसीलदार से सड़क के इस टुकड़े की मलकीयत का सबूत मांगा। सबूत मिलने पर अब बरसाती पानी की निकासी के लिए पाईप बिछाए जाने की बात कहकर मामले को दबाया जा रहा है, जबकि इस एरिया में पाईप लाइन डाली जा चुकी है। 

क्या जवाब देंगे एमई?

एमई नगर परिषद की ओर से 16 अक्टूबर 2020 को तहसीलदार को मलकीयत के सबूत के लिए पत्र भेजा गया। अचरज की बात यह है कि नगर परिषद द्वारा पहले जिन क्षेत्रों, कालोनियों में गलियों व सड़कों का निर्माण किया गया, उनकी मलकीयत जानने के लिए कब-कब पत्राचार किया? नगर परिषद के अधिकारी जवाब दें कि थेहड़ में सीसी गलियों का निर्माण किस आधार पर किया गया? जवाब दें कि कोलोनाइजरों द्वारा विकसित की गई अवैध कालोनियों में पक्की गलियां किस आधार पर बनाई? नगर परिषद के अभियंता यह भी जवाब दें कि उनके कार्यकाल में ही बनाई गई सीसी अथवा इंटरलॉक गलियों की मलकीयत की कब पड़ताल की गई? सरकार द्वारा जिन कालोनियों को आजतक वैध कालोनी की श्रेणी में शामिल नहीं किया गया है, उन कालोनियों में करोड़ों रुपये खर्च करके गलियां कैसे बना दी गई?

'ऐलियन' कैसे करते है गलियों का निर्माण?

नगर परिषद के अधिकारी इस बात का भी जवाब दें कि सिरसा शहर में 'ऐलियनÓ किस प्रकार गलियों का निर्माण कर देते है? नगर परिषद द्वारा आरटीआई में इस आशय की लिखित जानकारी कई बार दी गई कि गलियों का निर्माण नगर परिषद ने नहीं किया, न जाने कौन गली का निर्माण कर गया? आखिर कैसे? हाल ही में वार्ड नंबर-8 की गली बैंक कर्मी नरेश चोपड़ा से सेवानिवृत्त एएसआई दारा सिंह बिश्नोई वाली गली का निर्माण किसने किया? जबकि इस गली के निर्माण के लिए न नगर परिषद ने प्रस्ताव पारित किया और न ही इस गली का टेंडर ही हुआ? एमई इसका जवाब दें?

क्यों डाला जा रहा है अडंगा : कपिल गर्ग

व्हीस्ल ब्लोअर कपिल गर्ग एडवोकेट ने कहा कि नगर परिषद की कार्यशैली अनेक संदेह पैदा करती है। आखिर टूटी सड़क के टुकड़े की मरम्मत करने में किसे दिक्कत है? हजारों लोगों को इसकी वजह से परेशानी झेलनी पड़ रही है, तब इसके निर्माण में जानबूझकर अडंगा डालने की क्या वजह है? क्या यह सच्चाई नहीं है कि सड़क टूटी हुई है? आखिर निर्माण की जिम्मेवारी किसकी है?

बजट की नहीं कोई कमी
समस्या का समाधान करना हो तो राहें निकल जाती है लेकिन काम न करना हो तो बहाने घढऩे ही पड़ते है। शिव चौक से राजकीय मॉडल संस्कृति स्कूल तक टूटी ग्रिल को सरकूलर रोड से उखाड़ी गई ग्रिल लगाकर दुरुस्त किया जा सकता है। सरकूलर रोड से कुछ अरसा पहले ही नगर परिषद ने मजबूत व वजनी ग्रिल हटाकर नई लगाई थी। शिव चौक से सूरतगढिय़ा चौक की ओर सड़क का निर्माण नगर परिषद द्वारा किया गया, तब शिव चौक से अनाज मंडी की ओर सड़क निर्माण में अड़चन कैसी। नगर परिषद के पास बजट की भी कोई कमी नहीं। नगर परिषद के लगभग दो दर्जन बैंक खातों में करोड़ों रुपये जमा है। फिर भी लोगों को टूटी सड़क के कारण परेशानी झेलनी पड़ रही है, जोकि शर्मनाक स्थिति है।

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