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संजीदा हुआ प्रशासन तो सुधरने लगी व्यवस्थाएं,कोविड का पैनिक हुआ कम, मरीजों को मिली राहत

Dabwalinews.com
कोरोना को लेकर जैसा पैनिक पिछले एक पखवाड़े में बना हुआ था, वह पैनिक अब खत्म हो चुका है। शासन-प्रशासन के संजीदा होने से सिरसा जिला में व्यवस्थाओं में भी क्रांतिकारी सुधार आया है। लोगों को इससे राहत मिलीं है।पटरी से उतरी व्यवस्थाएं अब लाइन पर आ चुकी है, जिससे लोगों का भरोसा भी लौटा है। एक पखवाड़ा पूर्व जिस प्रकार की कथित लूटखसोट सिरसा में मची हुई थी, उसकी वजह से पैनिक बढ़ गया था। कोरोना मरीजों के साथ-साथ उनके तिमारदारों के होश उड़ चुके थे। कहीं अस्पतालों में बैड की कमी बताकर दाखिल करने से इंकार किया गया था और कहीं आक्सीजन की व्यवस्था मरीजों के कंधों पर डाल दी गई थी। कोरोना से बचाव के लिए रेमडिसिवर इंजेक्शन की खरीद दुस्वप्र बनने लगा था। मरीजों की जान बचाने के लिए आक्सीजन सिलेंडर के लिए मारामारी की पीड़ा भुगतभोगी ही जानते है। प्राइवेट अस्पतालों में मात्र बैड का चार्ज 10 से 15 हजार रुपये वसूला जाने लगा था और टेस्ट, सीटी स्कैन व दवाईयों के नाम पर कथित लूट की गई। एम्बुलेंस वालों ने भी चांदी कूटने का काम किया।मगर, एक पखवाड़े के भीतर शासन और प्रशासन द्वारा उठाए गए कदमों से भारी सुधार हुआ है। न केवल प्राइवेट अस्पतालों की मनमानी से राहत मिली है। वहीं अब प्राइवेट अस्पतालों में खाली बैड ही बैड नजर आने लगे है। जिला के प्रशासनिक अधिकारियों के प्रयास से निजी अस्पतालों ने बैड के चार्ज में भी भारी कटौती की है। वहीं प्रशासन द्वारा सीटी स्कैन की दर भी 2200 रुपये निर्धारित कर दी गई है। इसके साथ ही आक्सीजन के वितरण को लेकर पारदर्शी तरीका अपनाया गया है, ताकि जरूरतमंद को ही आक्सीजन मिल पाएं। एम्बुलेंस चालकों के लिए भी प्रशासन ने रेट निर्धारित कर दिए है, जिससे मरीजों को सीधे-सीधे लाभ होगा। जिला उपायुक्त प्रदीप कुमार, अतिरिक्त उपायुक्त उत्तम सिंह, एसडीएम जयवीर यादव के अलावा पुलिस प्रशासन द्वारा उठाए गए कदमों के सार्थक परिणाम सामने आए है, जिससे आमजन को राहत मिलीं है। एक बारगी सिरसा में निराशा का भाव बन गया था। कोरोना मरीजों को उपचार के अभाव में अकाल मृत्यु दिखाई पड़ रही थी। लेकिन प्रशासनिक हस्तक्षेप से व्यवस्थाओं में सुधार आया और मरीजों में जीने की आस भी जगी है। प्रशासनिक अधिकारियों ने जिस प्रकार स्थिति पर नियंत्रण किया है, उससे आमजन का मनोबल भी बढ़ा है। कोरोना की इस जंग में लोगों में नई आस जागृत करने का श्रेय पुलिस व प्रशासन को जाता है।

चौ. रणजीत सिंह के संभाला मोर्चा
 प्रदेश के बिजली मंत्री एवं वरिष्ठ नेता चौ. रणजीत सिंह के कंधों पर उनके गृह जिला सिरसा के स्वास्थ्य मामलों की अहम जिम्मेवारी दी गई। श्री सिंह ने अपने निजी कोष से 50 लाख रुपये स्वास्थ्य सेवाओं के लिए भेंट किए। साथ ही अपने अनुभवों के बल पर पुलिस व प्रशासन को सक्रिय किया। उन्होंने तमाम मोर्चों पर काम किया, जिसके परिणाम स्वरूप व्यवस्था पटरी पर लौट सकीं।

कोरोना से जंग जीत रहें लोग

कोरोना से डरने की बजाए सतर्कता बरते जाने की जरूरत है। सिरसावासी अपनी जीवटता से कोरोना को परास्त करके स्वस्थ हो रहे है। तमाम मुश्किलों के बावजूद कोरोना मरीज लगातार स्वस्थ हो रहे है। शुक्रवार के मेडिकल बुलेटिन के ही अनुसार जिला में 506 मरीज स्वस्थ होकर घर को लौटे, जबकि नए मरीजों की संख्या 459 थी। इसलिए वक्त घबराने का नहीं बल्कि बीमारी से लडऩे का है। यह तय है कि जीत हमारी ही होगी।
 93 प्रतिशत का हो रहा घर पर उपचार
कोरोना को लेकर घबराने की जरूरत नहीं है। सिरसा जिला में 93 प्रतिशत से अधिक मरीज घर पर ही उपचार करवा रहे है और स्वस्थ हो रहे है। मात्र 7 प्रतिशत का ही सरकारी अथवा निजी अस्पताल में उपचार चल रहा है। शुक्रवार की बुलेटिन के अनुसार जिला में 4568 सक्रिय मरीज है, जिसमें से महज 319 मरीज ही अस्पतालों में उपचाराधीन है। जबकि 3540 मरीजों का घर पर ही उपचार चल रहा है। यानि लोग घर पर क्वांरटिन होकर कोरोना से जंग जीत रहे है। इसलिए मनोबल को बनाए रखें।
 कांडा बंधुओं ने जगाई आस
चिकित्सा सेवाओं को लेकर जिस प्रकार की बदहाली का आलम बना हुआ था, उसकी वजह से निराशा का भाव जगने लगा था। मरीजों के साथ-साथ तिमारदार भी हौंसला खोने लगे थे। ऐसे वक्त में कांडा बंधुओं ने लोगों में नई आस जगाने का काम किया। विधायक गोपाल कांडा और उनके अनुज गोबिंद कांडा द्वारा तत्काल निर्णय लेते हुए सिरसा में 150 बैड का कोविड केयर हास्पिटल बनाने का निर्णय लिया गया और उस पर युद्ध स्तर पर कार्य शुरू कर दिया। कांडा बंधुओं के प्रयासों ने लोगों में नया हौंसला भरने का कार्य किया है। जिस प्रकार की व्यवस्था की जा रही है, उससे सिरसा में ईलाज के अभाव में एक भी व्यक्ति कोरोना से जंग नहीं हारेगा। कांडा बंधुओं का साथ मिलने से सिरसावासियों का हौंसला चौगुणा हुआ है।

देवतुल्य कार्य कर रहे है चिकित्सक
 कोरोना के खिलाफ जंग में चिकित्सक भी किसी देवता के समान मरीजों के प्राण बचाने का कार्य कर रहे है। अपनी जान जोखिम में डालकर सेवा कार्य करने वाले चिकित्सकों की भी कमी नहीं है। सरकारी के साथ-साथ प्राइवेट अस्पतालों में भी चिकित्सकों का देवतुल्य रवैया है। उनके द्वारा दिए जा रहे उपचार और भरोसे के बल पर ही मरीज जंग जीत पाने में कामयाब हुए है। कोरोना के खिलाफ इस लड़ाई में तमाम फ्रंट लाइन वर्कर का योगदान सराहनीय है। पुलिस कर्मचारी दिनरात मोर्चा संभाले हुए है। मेडिकल, पैरामेडिकल स्टाफ, सफाई कर्मचारी, बिजली कर्मी, पब्लिक हेल्थ कर्मचारियों के साथ अन्य अपनी सेवाओं के माध्यम से जंग को आसान करने में जुटे हुए है।



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