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गुरु नानक कॉलेज ने ऑनलाइन शोकसभा आजोजित कर भूतपूर्व प्रधानाचार्य रहे आत्माराम अरोड़ा को दी श्रद्धांजलि


Dabwalinews.com
गुरु नानक कॉलेज किलियांवाली में आज कॉलेज प्रधानाचार्य डॉ सुरेंद्र सिंह ठाकुर व समूह स्टाफ द्वारा एक ऑनलाइन मीटिंग का आयोजन कॉलेज के भूतपूर्व प्रधानाचार्य रहे श्री आत्माराम अरोड़ा जी के कल हुए अकस्मात निधन पर शोक व्यक्त व श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए किया गया । इसमें प्रसिद्ध शिक्षाविद और मंडी डबवाली की लगभग सभी समाजसेवी संस्थाओं से जुड़े सीनियर सिटीजन वेलफेयर एसोसिएशन अध्यक्ष आदरणीय श्री आत्माराम जी अरोड़ा को कॉलेज प्रबंधन समिति व एलुमनी एसोसिएशन की तरफ से प्रधानाचार्य, समूह स्टॉफ एवं राजनीति शास्त्र विभाग की थिंकर सोसाइटी के विद्यार्थियों ने 2 मिनट का मौन रखकर भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की । प्रिंसिपल डा. ठाकुर ने दिवंगत श्री अरोड़ा जी की आत्मा को वाहेगुरु द्वारा अपने चरणों में स्थान देने व परिवार को इस असहनीय क्षति को सहने की परमात्मा से प्रार्थना करते हुए स्व .श्री अरोड़ा द्वारा संस्था और समाज को दिये अतुल्य योगदान का वर्णन किया व उनके अंग्रेजी प्रवक्ता के रूप में एवं लगभग 10 वर्ष कुशल प्रशासक के रूप में कॉलेज को दी गई सेवाओं व प्राप्तियों का विशेष उल्लेख किया । स्टाफ द्वारा भी उनसे जुड़े संस्मरण आपस में शेयर किए गए ।




श्री अरोड़ा का जन्म 16 सितंबर 1942 में हरियाणा के सिरसा शहर में पिता श्री राम चंद और माता श्रीमती भागवंती देवी के घर हुआ। उन्हें 'आत्माराम' नाम साहिब श्री शाह मस्ताना बलोचिस्तानी द्वारा दिया गया क्योंकि वह और उनका परिवार शुरू से ही उनसे जुड़े हुए थे ।अपने छः बहन भाइयों में वे तीसरे नंबर पर थे । छोटी आयु में ही माता - पिता की मृत्यु एवं घोर आर्थिक तंगी से जूझते हुए मेहनती श्री आत्माराम ने दुकान का काम करते-करते नेशनल कॉलेज सिरसा से अपनी पढ़ाई की और अपनी कुशाग्र बुद्धि से पढ़ाई में बेहतरीन परफॉर्मेंस देते हुए वे डिक्लेमेशन- डिबेट, कॉलेज मैगजीन के लिए लेखनी व अपने कॉलेज की थिंकर सोसायटी के सदस्य रहते हुए वे हर अध्यापक की आंखों के तारे बन गए ।तत्पश्चात कुरुक्षेत्र यूनिवर्सिटी से अंग्रेजी में ऐम.ए. करने के पश्चात उन्हें 1967 में मलोट डीएवी कॉलेज और गुरु नानक कॉलेज किलियांवाली दोनों जगह से अध्यापन की जॉब के लिए ऑफर आए परंतु मलोट में अपनी बहन शादीशुदा होने के कारण एवं सिरसा से किलियांवाली अधिक नजदीक होने के कारण उन्होंने गुरु नानक कॉलेज किलियांवाली की धरती को अपनी कर्मभूमि चुना एवं लगभग साढ़े तीन दशक उन्होंने इस संस्था को अपने बेहतरीन अध्यापन और बाद में 1992 मे प्रिंसिपल बनकर कुशल प्रबंधन की सेवाएं दीं। यहीं उनकी शादी चंडीगढ़ में बसे एक भद्र धवन परिवार की बेटी बैंक में कार्यरत बिमल देवी से हुई । अपनी सर्विस के दौरान वे एनएसएस इंचार्ज, कल्चरल कमेटी अध्यक्ष,क्रिकेट एसोसिएशन अध्यक्ष आदि पदों को भी सुशोभित करते रहे। अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने क्षेत्र की सभी प्रमुख सामाजिक संस्थाओं के निर्माण व सलाह -निर्देशन में अहम भूमिका निभाई । 30 सितंबर, 2002 में वह प्रिंसिपल पद से सेवानिवृत्त होकर बाल मंदिर स्कूल और उसके बाद एचपीएस शेरगढ़ जैसी संस्थाओं को संभालने लगे ।साथ ही उन्होंने 1996 में अपनी दिवंगत पत्नी के नाम पर खोले विमल ज्योति इंस्टीट्यूट में विद्यार्थियों को अंग्रेजी पढ़ाना शुरू किया और कई शोधार्थियों को तो पीएचडी करवाने में भी उन्होंने अहम भूमिका निभाई । हालांकि अपनी सेवानिवृत्ति के पश्चात उनके घरवाले चाहते थे कि वह सिरसा वापस आए परंतु इस क्षेत्र के लोगों के प्यार और मधुर संबंधों के चलते श्री अरोड़ा ने बाल मंदिर रोड पर एक निवास स्थान लेकर यहीं अपनी कर्मभूमि में रहने का फैसला किया । क्षेत्र का जो भी शख्स उनके संपर्क में आया, उनका अपनेपन और वाक -कला का कायल बनकर रह गया ।शहर का कोई भी सामाजिक,सांस्कृतिक एवं शैक्षणिक कार्यक्रम ऐसा नहीं था जहां उन्हें मुख्य अतिथि या विशिष्ट अतिथि के तौर पर आदर भाव से आमंत्रित न किया गया हो,यह लोगों का उनके प्रति मोह और श्रद्धा- भाव दर्शाता है ।
हालांकि अपने स्वास्थ्य संबंधी गंभीर समस्याओं से भी वे कई वर्षों से जूझ रहे थे परंतु उन्होंने कभी अपना आत्मबल कम नहीं होने दिया । जिससे भी वे मिलते, वह उनका कुशलक्षेम पूछता तो वह हंसते हुए जवाब देते मैं तो मालिक की रजा में राजी हूं ।पिछले वर्ष कोरोना महामारी के चलते लगे लॉकडाउन से पहले उन्हें उनके भतीजे श्री निशांत अरोड़ा सिरसा स्थित अपने निवास स्थान पर ले गए तांकि वे अपने परिवार में स्वस्थ और सुरक्षित रह सकें। वहां रहते हुए भी समाचार पत्र पढ़ने, रेडियो सुनने और ताश-क्रिकेट खेलने के शौकीन श्री अरोड़ा फेसबुक व्हाट्सएप के जरिए डबवाली और अपने चहेतों से जुड़े रहे और बीच-बीच में यहां आकर कई कार्यक्रमों में शिरकत करते रहे एवं सीनियर सिटीजन वेलफेयर एसोसिएशन के अध्यक्ष की अपनी जिम्मेदारी बखूबी निभाते रहे । फरवरी 2021 में डबवाली में खुले नए बैंक आईडीएफसी के आमंत्रण पर वे विशेष तौर पर सिरसा से यहां पधारे और यही उनकी अपनी कर्मभूमि में अंतिम यात्रा रही । श्री अरोड़ा के परिवार और उनसे जुड़े लोगों व अपनी खुद की स्वर्गीय अरोड़ा साहब से होती रही बातचीत के आधार पर यह जानकारी देते हुए राजनीति शास्त्र विभागाध्यक्ष प्रो. अमित बहल ने थिंकर सोसाइटी के विद्यार्थियों को बताया कि जिस तरह शहर की नामी-गिरामी समाजसेवी संस्था वर्चुअस क्लब को यह नाम श्री अरोड़ा ने दिया था उसी तरह थिंकर सोसाइटी का नामकरण भी उन्होंने ही किया एवं इसके सर्वप्रथम वार्षिक कार्यक्रम और लॉकडाउन लगने से पहले कॉलेज प्रांगण में आयोजित हुए अंतिम कार्यक्रम में उन्होंने ही मुख्य अतिथि की भूमिका निभाई एवं मेधावी विद्यार्थियों को अपने कर - कमलों से इनाम और अपना आशीर्वाद प्रदान किया । आज जिस -जिस को भी अरोड़ा साहब के देहावसान की खबर मिल रही है,वह शख्स सोशल मीडिया पर उनसे जुड़े अपने पल सांझे करके अश्रु भरी आंखों से उन्हें नमन कर रहा है। शहर की विभिन्न सामाजिक और शैक्षणिक संस्थाओं ने भी क्षेत्र की तीन पीढ़ियों को अंग्रेजी पढ़ा चुकी इस रूहानी शख्सियत के निधन पर अपनी गहरी शोक - संवेदनाएं व्यक्त की हैं। इस फानी संसार को इस विराट शख्सियत द्वारा अलविदा कहना हम सब के लिए एक बहुत बड़ा शून्य पैदा कर गया है ।समस्त इलाका वासियों की यह परमपिता परमात्मा से प्रार्थना है कि वह इस बिछड़ी रूह को अपने चरणों में स्थान दें, परिवार और उनसे जुड़े लोगों को इस दुख को सहने की शक्ति प्रदान करें और उनका आत्मिक आशीर्वाद हमेशा हम सब पर बनाए रखें ।

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