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चौंटाला नहर में जल संकट: किसानों ने सिंचाई मंत्री को सौंपा ज्ञापन
चौटाला (डबवाली न्यूज़ ) | हरियाणा के चौटाला क्षेत्र के किसान पिछले तीन वर्षों से चौटाला डिस्ट्रीब्यूटरी नहर में पानी की भारी कमी और अनियमितताओं से जूझ रहे हैं। समस्याओं का समाधान न होने पर क्षुब्ध किसानों ने सोमवार को सिंचाई मंत्री श्रीमती श्रुति चौधरी को एक विस्तृत ज्ञापन सौंपा है, जिसमें कई गंभीर आरोप लगाए गए हैं।
समस्त किसान चौटाला नहर संगठन की ओर से सौंपे गए ज्ञापन में बताया गया कि टेल नंबर 77275 राइट, टेल 78150 लेफ्ट और 80820 पर स्थित नहर में पानी के साथ-साथ बड़ी मात्रा में मिट्टी भी आती है, जिससे सिंचाई करना लगभग असंभव हो गया है।
किसानों ने ज्ञापन में कई गंभीर मुद्दे उठाए हैं। उनका कहना है कि टेल नंबर 80820 की टेल को डाउन टर्न बनाया गया है, जिसकी वजह से हजारों लीटर पानी रोजाना बर्बाद हो रहा है। किसानों ने इस पर तत्काल कार्रवाई की मांग की है।
27 फरवरी 2023 को XEN ने रसीद नंबर 272 के माध्यम से समस्या के समाधान का आश्वासन दिया था, लेकिन आज तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई। किसानों का आरोप है कि अधिकारियों की लापरवाही के कारण उनकी फसलें बर्बाद हो रही हैं।
किसानों ने बताया कि वर्ष 2020 में राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) ने सड़क निर्माण के दौरान टेल को तोड़ दिया था। हालांकि, आज तक NHAI के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई और न ही किसानों को किसी प्रकार का मुआवजा दिलाया गया।
ज्ञापन में यह भी उल्लेख किया गया है कि नहर की हालत बेहद खराब है। नहर में भारी मात्रा में तल छट जमा हो गई है, जिसकी सफाई की तत्काल आवश्यकता है। साथ ही, नहर पर जगह-जगह अवैध निर्माण हो गए हैं और नहर की बाहरी दीवारों से पानी की चोरी हो रही है।
किसानों का कहना है कि जिन किसानों की जमीन को सिंचाई विभाग ने इस नहर की परिधि में शामिल किया है और उनसे पानी के लिए भारी शुल्क वसूला जा रहा है, उन्हें भी पर्याप्त पानी नहीं मिल पा रहा।
किसानों ने चौंटाला नहर पर तैनात फील्ड अधिकारियों - SDO, JE और बेलदार को तुरंत प्रभाव से हटाने की मांग की है। उनका आरोप है कि इन अधिकारियों के रहते नहर में पानी की व्यवस्था सुधरने की कोई उम्मीद नहीं है।
किसानों ने मांग की है कि नहर पर जिम्मेदार और मेहनती अधिकारियों को तैनात किया जाए, जो किसानों की समस्याओं को समझें और उनका समाधान करें।
ज्ञापन में कई तकनीकी सुधारों की मांग भी की गई है। किसानों ने कहा कि नहर की व्यापक खुदाई और सफाई की जाए, तलछट को हटाया जाए और नहर की दीवारों को मजबूत बनाया जाए। साथ ही, पानी के सही वितरण के लिए आउटलेटों पर गेट लगाए जाएं।
किसानों ने बताया कि मौजगढ़ हेड भाखड़ा नहर का अंतिम हेड है। इस कारण पीछे से पूरा पानी न मिलने की वजह से दो-तीन दिन देरी से पानी आता है। और जब PO (पीरियड ऑफ ऑपरेशन) खत्म होने में दो-तीन दिन शेष होते हैं, तब पानी की मात्रा कम हो जाती है। इससे किसानों को पूरा पानी नहीं मिल पाता। किसानों ने इस समस्या का भी उचित समाधान करने की मांग की है।
किसानों ने यह भी सुझाव दिया है कि जिम्मेदार अधिकारियों और टेल समिति तथा आउटलेटों के किसानों की एक संयुक्त कमेटी बनाई जाए, जो नहर के संचालन पर निगरानी रखे और सभी समस्याओं का समाधान करे।
किसानों ने स्पष्ट कर दिया है कि यदि जल्द ही इन समस्याओं का समाधान नहीं किया गया तो वे आंदोलन का रास्ता अपनाने को मजबूर होंगे। उन्होंने कहा कि वे शांतिपूर्ण तरीके से अपनी बात रख रहे हैं, लेकिन अगर प्रशासन ने ध्यान नहीं दिया तो उन्हें सड़क पर उतरना पड़ेगा।
सिंचाई मंत्री श्रीमती श्रुति चौधरी ने किसानों का ज्ञापन प्राप्त किया और उन्हें आश्वासन दिया कि संबंधित अधिकारियों से रिपोर्ट मांगी जाएगी और समस्याओं का समाधान किया जाएगा। हालांकि, किसान यह देखने के लिए उत्सुक हैं कि क्या इस बार वास्तव में कोई ठोस कार्रवाई होती है।
स्थानीय किसान रामसिंह ने कहा, "हम तीन साल से परेशान हैं। हमारी फसलें सूख रही हैं, परिवार भूखे हैं, लेकिन किसी को कोई फर्क नहीं
समस्त किसान चौटाला नहर संगठन की ओर से सौंपे गए ज्ञापन में बताया गया कि टेल नंबर 77275 राइट, टेल 78150 लेफ्ट और 80820 पर स्थित नहर में पानी के साथ-साथ बड़ी मात्रा में मिट्टी भी आती है, जिससे सिंचाई करना लगभग असंभव हो गया है।
किसानों ने ज्ञापन में कई गंभीर मुद्दे उठाए हैं। उनका कहना है कि टेल नंबर 80820 की टेल को डाउन टर्न बनाया गया है, जिसकी वजह से हजारों लीटर पानी रोजाना बर्बाद हो रहा है। किसानों ने इस पर तत्काल कार्रवाई की मांग की है।
27 फरवरी 2023 को XEN ने रसीद नंबर 272 के माध्यम से समस्या के समाधान का आश्वासन दिया था, लेकिन आज तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई। किसानों का आरोप है कि अधिकारियों की लापरवाही के कारण उनकी फसलें बर्बाद हो रही हैं।
किसानों ने बताया कि वर्ष 2020 में राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) ने सड़क निर्माण के दौरान टेल को तोड़ दिया था। हालांकि, आज तक NHAI के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई और न ही किसानों को किसी प्रकार का मुआवजा दिलाया गया।
ज्ञापन में यह भी उल्लेख किया गया है कि नहर की हालत बेहद खराब है। नहर में भारी मात्रा में तल छट जमा हो गई है, जिसकी सफाई की तत्काल आवश्यकता है। साथ ही, नहर पर जगह-जगह अवैध निर्माण हो गए हैं और नहर की बाहरी दीवारों से पानी की चोरी हो रही है।
किसानों का कहना है कि जिन किसानों की जमीन को सिंचाई विभाग ने इस नहर की परिधि में शामिल किया है और उनसे पानी के लिए भारी शुल्क वसूला जा रहा है, उन्हें भी पर्याप्त पानी नहीं मिल पा रहा।
किसानों ने चौंटाला नहर पर तैनात फील्ड अधिकारियों - SDO, JE और बेलदार को तुरंत प्रभाव से हटाने की मांग की है। उनका आरोप है कि इन अधिकारियों के रहते नहर में पानी की व्यवस्था सुधरने की कोई उम्मीद नहीं है।
किसानों ने मांग की है कि नहर पर जिम्मेदार और मेहनती अधिकारियों को तैनात किया जाए, जो किसानों की समस्याओं को समझें और उनका समाधान करें।
ज्ञापन में कई तकनीकी सुधारों की मांग भी की गई है। किसानों ने कहा कि नहर की व्यापक खुदाई और सफाई की जाए, तलछट को हटाया जाए और नहर की दीवारों को मजबूत बनाया जाए। साथ ही, पानी के सही वितरण के लिए आउटलेटों पर गेट लगाए जाएं।
किसानों ने बताया कि मौजगढ़ हेड भाखड़ा नहर का अंतिम हेड है। इस कारण पीछे से पूरा पानी न मिलने की वजह से दो-तीन दिन देरी से पानी आता है। और जब PO (पीरियड ऑफ ऑपरेशन) खत्म होने में दो-तीन दिन शेष होते हैं, तब पानी की मात्रा कम हो जाती है। इससे किसानों को पूरा पानी नहीं मिल पाता। किसानों ने इस समस्या का भी उचित समाधान करने की मांग की है।
किसानों ने यह भी सुझाव दिया है कि जिम्मेदार अधिकारियों और टेल समिति तथा आउटलेटों के किसानों की एक संयुक्त कमेटी बनाई जाए, जो नहर के संचालन पर निगरानी रखे और सभी समस्याओं का समाधान करे।
किसानों ने स्पष्ट कर दिया है कि यदि जल्द ही इन समस्याओं का समाधान नहीं किया गया तो वे आंदोलन का रास्ता अपनाने को मजबूर होंगे। उन्होंने कहा कि वे शांतिपूर्ण तरीके से अपनी बात रख रहे हैं, लेकिन अगर प्रशासन ने ध्यान नहीं दिया तो उन्हें सड़क पर उतरना पड़ेगा।
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क्या डबवाली में BJP की इस गलती को नजर अंदाज किया जा सकता है,आखिर प्रशासन ने क्यों नहीं की कार्रवाई
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